मानहानि मामले में अब Rajasthan CM Ashok Gehlot के खिलाफ जांच के आदेश, बढ सकती है मुश्किलें
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मानहानि केस में हुई दो साज की सजा के बाद अब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी मानहानि केस में मुश्किल में फंंस सकते है.
दिल्ली की एक अदालत ने केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत की ओर दायर किए गए मानहानि केस में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान की जांच करने के आदेश दिए है.
अदालत ने मानहानि मामले की कार्यवाही को आगे बढाने से पूर्व समन जारी करने के लिए मामले में उचित जांच का आदेश दिया है.
Also Read
- Veer Savarkar Defamation Case: राहुल गांधी को पुणे कोर्ट से बड़ा झटका, शिकायतकर्ता की वंशावली जानकारी मांगने से इंकार
- Veer Savarkar Defamation Case: शिकायतकर्ता की वंशावली की मांगे, वह नाथूराम गोडसे का रिश्तेदार, राहुल गांधी ने Pune Court से गुजारिश की
- पहले से ही न्यायिक हिरासत में है AAP नेता नरेश बाल्यान, अब Delhi Court ने जमानत देने से किया इंकार, जानें वजह
समन से पूर्व जांच
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत और उनकी मां को संजीवनी घोटाले में आरोपी बताने का आरोप है.
शेखावत की ओर से दायर किए गए मानहानि के मुकदमें में दावा किया गया है कि गहलोत ने संजीवनी घोटाले में पूर्व की कथित संलिप्तता के बारे में बयान दिया था।
राउज एवेन्यू कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई के बाद दिल्ली पुलिस को यह जांच करने का आदेश दिया कि क्या राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वास्तव में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को संजीवनी घोटाले में आरोपी बताया है या नहीं.
अधिकार क्षेत्र से बाहर
अदातल ने कहा कि समन जारी करने से पहले तथ्यों की जांच आवश्यक है क्योंकि गहलोत अदालत के स्थानीय अधिकार क्षेत्र से बाहर रहते हैं।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि चूकि इस मामले में प्रतिवादी इस अदालत के क्षेत्राधिकार से बाहर निवास करता है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के निर्देशो का पालन करते हुए यह जरूरी है इस तरह के मामले में पहले जाचं की जाए.
अदालत ने दिल्ली पुलिस को जांच का आदेश देते हुए कहा कि "मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, यह निर्देश दिया जाता है कि संबंधित संयुक्त आयुक्त जांच की निगरानी करेंगे... संबंधित संयुक्त पुलिस आयुक्त मामले की जांच स्वयं या किसी ऐसे अधिकारी के माध्यम से करेंगे, जो इंस्पेक्टर के पद से नीचे का न हो।"
क्या हैं मामला
फरवरी में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कथित संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले के पीड़ितो से मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत की थी. इन पीड़ित लोगों ने शेखावत पर घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया था.
पीड़ित लोगों से मिलने के बाद गहलोत ने मीडिया को दिए बयान में कहा कि कुछ बयान दिए जिसमें उन्होंने कथित तौर पर शेखावत का नाम लिया और पूछा कि ऐसे लोग मोदी सरकार में मंत्री कैसे बनते हैं.
क्या कहा था गहलोत ने
मुकदमें के अनुसार मीडिया को दिए बयान में कथित रूप से सीएम अशोक गहलोत ने मंत्री को लेकर कहा कि "संजीवनी को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड घोटाले के मामले में केंद्रीय मंत्री जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की जांच में उनके खिलाफ भी उन्हीं धाराओं के तहत अपराध साबित हुआ है, जिनमें अन्य गिरफ्तार आरोपी हैं."
अगले ही दिन शेखावत ने भी एक प्रेस-कॉन्फ्रेंस आयोजित कर इन आरोपों का खंडन किया था.
मानहानि का मुकदमा
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में अशोक गहलोत के खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया. आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत दर्ज किए गए इस मामले में गहलोत के खिलाफ मानहानि की कार्यवाही का अनुरोध किया गया है.
शेखावत की ओर से दायर मुकदमें में कहा गया कि इस मामले में एक जांच शुरू की गई थी, लेकिन उनके नाम का कहीं उल्लेख नहीं किया गया था. लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री ने खुले तौर पर उन्हे 'दूसरों की तरह अपराधी' घोषित दिया है. जिससे उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ है.
दायर मुकदमें में मंत्री ने कहा कि सीएम गहलोत ने उन्हें संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले में 'आरोपी' करार दिया, जो 'बदला लेने के लिए उनकी राजनीतिक हत्या' के समान है. उन्होंने कहा, "एसओजी ने तीन चार्जशीट पेश कीं, लेकिन न तो मेरे और न ही मेरे परिवार का कहीं नाम है, फिर भी मुख्यमंत्री ने मुझे आरोपी बताया."