Advertisement

सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर कोई न्यायिक अधिकारियों की छवि खराब नहीं कर सकता: सुप्रीम कोर्ट

Social Media cannot be used to demean any judicial officer

न्यायिक अधिकारियों की छवि खराब करने के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणी.

Written By My Lord Team | Published : May 30, 2023 4:35 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक याचिका की सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि न्यायिक अधिकारियों की छवि को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके खराब नहीं किया जा सकता है, यह गलत है, और इसका किसी को अधिकार नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट की न्यायधीश बेला एम त्रिवेदी (Justice Bela M Trivedi) और न्यायधीश प्रशांत कुमार मिश्रा (Justice Prashant Kumar Mishra) की अवकाशकालीन पीठ ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक ऑर्डर के खिलाफ दायर की गई याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है।

Advertisement

न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर कही ये बात

Also Read

More News

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) के एक ऑर्डर को चुनौती देती याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस त्रिवेदी ने कहा कि "अगर आपको आपकी मर्जी का ऑर्डर नहीं मिलता है तो इसका हरगिज यह मतलब नहीं है कि आप न्यायिक अधिकारी के किरदार पर सवाल उठाएं. न्यायपालिका की स्वतंत्रता सिर्फ कार्यकारिणी (Executive) से नहीं है, बल्कि सभी बाहरी शक्तियों से भी है। यह बात सभी को समझनी चाहिए और इसका ध्यान रखना चाहिए।"

Advertisement

जस्टिस त्रिवेदी ने आगे कहा कि "एक न्यायिक अधिकारी पर इल्जाम लगाने से पहले उसे दो बार सोचना चाहिए; इस तरह अधिकारी का अपमान करना अधिकारी की छवि के लिए बुरा साबित हुआ होगा।'

पीठ ने यह भी कहा कि वो यहां कानून के आधार पर फैसले लेने बैठे हैं, रहम दिखाना उनका काम नहीं है और इस तरह के लोगों पर तो वो बिल्कुल भी रहम नहीं दिखाएंगे।

क्या था मामला 

दरअसल बात ऐसी थी कि अपर जिला न्यायधीश (Additional District Judge) जस्टिस एस पी एस बंदेला (Justice SPS Bandela) ने 'न्यायालय अवमानना अधिनियम, 1971' (Contempt of Courts Act, 1971) की धारा 15(2) के तहत कृष्ण कुमार रघुवंशी पर आरोप लगाए। उनका यह कहना था कि कृष्ण कुमार रघुवंशी ने एक मामले में कोर्ट के ऑर्डर की अवहेलना की और कोर्ट और न्यायिक अधिकारी की छवि को वॉट्सएप पर एक पत्र सर्क्युलेट करके खराब करने की कोशिश की।

पीटीआई रिपोर्ट के मुताबिक, कृष्ण कुमार रघुवंशी ने जिला न्यायधीश पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जिसके चलते मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने उन्हें दस दिन के लिए जेल भेजा है।

इस ऑर्डर को उन्होंने याचिका के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया और अनुरोध किया कि उनके कारावास का समय थोड़ा कम कर दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है।