Advertisement

Nagaland Civic Elections: महिलाओं के आरक्षण को न लागू करने पर SC केंद्र और राज्य सरकार से अप्रसन्न!

Supreme Court of India

निकाय चुनावों में महिलाओं के लिए आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था को केंद्र और राज्य सरकार द्वारा लागू न करने पर उच्चतम न्यायालय ने अप्रसन्नता दिखाई है। अदालत की पीठ ने सरकार के समक्ष कुछ अहम सवाल भी रखे हैं..

Written By Ananya Srivastava | Updated : July 27, 2023 10:36 AM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court of India) ने नागालैंड में निकाय चुनावों (Nagaland Civic Elections) में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था को लागू नहीं करने पर केंद्र और नागालैंड सरकार के प्रति अप्रसन्नता प्रकट करते हुए मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार संविधान को लागू करने को इच्छुक नहीं है।

नागालैंड एक ऐसा राज्य है, जहां महिलाएं जीवन के हर पहलू में सक्रिय रूप से भाग लेती हैं, यह उल्लेख करते हुए न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि केंद्र यह कहकर नगर निकायों में महिलाओं को आरक्षण देने से नहीं रोक सकता कि यह आदिवासी क्षेत्रों पर लागू नहीं होता है।

Advertisement

समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार पीठ ने कहा, इसे लागू क्यों नहीं किया जा रहा है। आप क्या कर रहे हैं? राजनीतिक रूप से भी आप एक विचार के हैं। यह आपकी सरकार है। आप यह कहकर बच नहीं सकते कि राज्य में किसी अन्य दल की सरकार है।’’

Also Read

More News

पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) के एम नटराज से कहा, केंद्र सरकार संविधान लागू करने को तैयार नहीं है। जरा सा इशारा होने पर आप राज्य सरकारों के खिलाफ कार्रवाई कर देते हैं। जहां संवैधानिक प्रावधान का पालन नहीं हो रहा हो, वहां आप राज्य सरकार को कुछ नहीं कहते। संवैधानिक व्यवस्था को क्रियान्वित होते देखने में आपने क्या सक्रिय भूमिका निभाई है?’’

Advertisement

नागालैंड में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार है और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्तारूढ़ सरकार में भागीदार है।

सुनवाई की शुरुआत में, नागालैंड के महाधिवक्ता के एन बालगोपाल ने कहा कि राज्य सरकार अदालत की इच्छा के अनुरूप एक नया कानून लाने की इच्छुक है और उन्होंने राज्य सरकार से निर्देश लेने के लिए समय मांगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने राज्य सरकार को कई मौके दिये, लेकिन उसने कुछ नहीं किया।

नटराज ने कहा कि संविधान के अनुरूप शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं को 33 प्रतिशत कोटा प्रदान किया जाना चाहिए। जब पीठ ने पूछा कि फिर इसे लागू क्यों नहीं किया जा रहा है, तो एएसजी ने कहा कि राज्य में स्थिति इसके लिए अनुकूल नहीं है। इसके बाद उन्होंने अदालत से समय मांगा।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि सत्ता में बैठे लोगों द्वारा महिलाओं की भागीदारी को बाधित किया जा रहा है।

शीर्ष अदालत ने पूर्व में केंद्र से यह स्पष्ट करने के लिए कहा था कि क्या नगरपालिका और नगर परिषद चुनावों में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था का नगालैंड द्वारा उल्लंघन किया जा सकता है, जहां विधानसभा ने नगरपालिका अधिनियम को रद्द करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था और शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के चुनाव नहीं कराने का संकल्प लिया था।

कई नगा आदिवासी निकायों और नागरिक समाज संगठनों ने नगालैंड नगरपालिका अधिनियम 2001 के तहत यूएलबी चुनाव कराने का यह कहते हुए विरोध किया था कि यह संविधान के अनुच्छेद 371-ए द्वारा गारंटी प्रदत्त नगालैंड के विशेष अधिकारों का उल्लंघन करता है।