MP Bar Council strike: CJI के आहवान के बाद हड़ताल स्थगित, Bar Council Chairman कल करेंगे सीजेआई से मुलाकात
नई दिल्ली: मध्यप्रदेश State Bar Council Chairman प्रेमसिंह भादौरिया को देश के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चन्द्रचूड़ द्वारा वकीलों की हड़ताल को लेकर बातचीत करने के लिए आमत्रिंत करने के बाद मध्यप्रदेश में वकीलों की हड़ताल फिलहाल स्थगित कर दी गई है.
सीजेआई ने भदौरिया को राज्यव्यापी वकीलों की हड़ताल के बारे में चिंताओं पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित किया है. भदौरिया संभवतया 29 मार्च की शाम 4 बजे सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई से उनके चैंबर में मुलाकात करेंगे.
अचानक बदले इस घटनाक्रम के बाद मंगलवार दोपहर को एक प्रेस नोटि जारी कर मध्यप्रदेश बार काउंसिल ने फिलहाल के लिए हड़ताल को स्थगित कर दिया है.
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गौरतलब है मध्यप्रदेश में वकीलों की हड़ताल का मामला तूल पकड़ता जा रहा था, सोमवार को हड़ताल के मामले में हाईकोर्ट की एकलपीठ द्वारा अवमानना नोटिस जारी किये जाने के बाद इसमें और भी उबाल आ गया था.
सोमवार को ही बार मध्यप्रदेश State Bar Council ने दो दिवसीय हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया था काउंसिल ने राज्य के सभी वकीलों को 28 और 29 मार्च को अदालती कामकाज से दूर रहने का आह्वान किया था.
न्यायिक कार्य बहिष्कार
मामले की शुरूआत हाईकोर्ट के 22 मार्च के एक आदेश से हुई जिसके द्वारा जिला अदालतों की प्रत्येक अदालत को अगले तीन माह सबसे पुराने 25 cases की पहचान कर उनका निस्तारण करने के आदेश दिए गए थे.
बार काउंसिल ने हाईकोर्ट प्रशासन के इस आदेश को जजों और वकीलों पर अतिरिक्त बोझ डालने का बताते हुए विरोध का ऐलान किया. इस मामले में Bar Council Chairman ने एक सूचना जारी करते हुए सभी अधिवक्तओं से न्यायिक कार्य बहिष्कार का आहवान किया.
Bar Council Chairman ने इसके साथ ही मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर 22 मार्च को जारी किए आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया. 23 मार्च से अधिवक्ताओं ने हड़ताल करते हुए न्यायिक कार्यो का बहिष्कार शुरू किया.
मुख्य न्यायाधीश रवि मालिमथ की पीठ ने हड़ताली अधिवक्ताओं को चेतावनी दी थी कि अगर बहिष्कार बंद नहीं किया गया तो उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी. पीठ ने स्वप्रेणा प्रसंज्ञान लेते हुए निर्देशो का पालन नही करने पर अदालत की अवमानना बताया. इसके बावजूद अधिवक्तओं की हड़ताल जारी रही.
न्यायिक पक्ष को चुनौती
सोमवार को हाईकोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी करते हुए अपने आदेश में कहा कि इस मामले में मुख्य न्यायाधीश ने अपनी ओर से बार के सदस्यों से सुझाव मांगे थे, लेकिन इसके बजाय, राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष और निर्वाचित सदस्यों ने अनावश्यक रूप से हड़ताल की घोषणा करके मामले को तूल दिया है.
एकलपीठ ने कहा कि इस तरह से Bar Council ने न्यायिक पक्ष को चुनौती दी है, बिना कारण हाईकोर्ट और जिला अदालतों में कामकाज ठप करने का प्रयास किया हैं.
एकलपीठ ने कहा कि किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी वकील को न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने से रोकने का कोई भी प्रयास उन्हें आईपीसी की धारा 341 (गलत अवरोध) के तहत अपराध के लिए मुकदमा चलाने के लिए उत्तरदायी बना देगा.