मोटर व्हेकिल अधिनियम हितकारी, इसकी व्याख्या पीड़ितो के पक्ष में की जानी चाहिए, मद्रास हाईकोर्ट ने मुआवजे की राशि बढ़ाकर देने को कहा
Motor Vehicle Is Beneficial: हाल ही में मद्रास हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि मोटर व्हेकिल अधिनियम एक लाभकारी कानून है और इसकी व्याख्या प्रभावित व्यक्तियों के पक्ष में की जानी चाहिए. मद्रास हाईकोर्ट ने इंश्योरेंस कंपनी को पीड़ित के परिजनों को मुआवजे की राशि बढ़ाकर देने को कहा है.
मुआवजे की राशि पीड़ित के परिजनों को बढ़ाकर दें: मद्रास HC
मद्रास हाईकोर्ट में जस्टिस आर सुब्रमण्यन और जस्टिस आर शक्तिवेल की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की. पीठ ने फैसले में नाबालिग लड़कों द्वारा चलाए जा रही गाड़ी से हुई दुर्घटना में मृतक नाबालिग लड़के के परिवार को दी जाने वाली मुआवजे की राशि को बढ़ाया है.
मद्रास हाईकोर्ट ने भी पाया कि चूंकि मृतक दुर्घटना के समय बीमा पॉलिसी के तहत कवर था, इसलिए ट्रिब्यूनल ने निष्कर्ष निकाला कि बीमा कंपनी मुआवजा राशि देने और इसे मालिकों से समान रूप से वसूलने के लिए उत्तरदायी थी. हालांकि, मद्रास हाईकोर्ट ने दिए गए मुआवजे की राशि को बढ़ा पीड़ित के परिवार को देने के निर्देश दिए. अदालत ने संशोधित मुआवजे की राशि को आठ सप्ताह की अवधि के भीतर ब्याज के साथ जमा करने को कहा है.
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बीमा कंपनी पीड़ित को मुआवजा दें: ट्रिब्यूनल
लड़के के परिवार ने चेन्नई के मोटर दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल (Motor Accident Claim Tribunal) के मुख्य न्यायाधीश द्वारा दिए गए मुआवजे को बढ़ाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था. इसके विपरीत, बीमा कंपनी ने इस मांग को खारिज करने की मांग की थी. बीमा कंपनी ने दावा किया कि दुर्घटना के समय, मृतक 17 वर्ष का था. वहीं, मृतक के परिवार ने 12% ब्याज के साथ 50,00,000 रुपये का मुआवजा मांगा.
दूसरी ओर, बीमा कंपनी ने इस मांग का विरोध करते हुए कहा कि दुर्घटना में शामिल मोटरसाइकिलें नाबालिगों द्वारा चलाई जा रही थीं, जिनके पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं थे. कंपनी ने तर्क दिया कि मालिकों ने नाबालिगों को बिना लाइसेंस के मोटरसाइकिल चलाने की अनुमति दी थी, इसलिए उन्होंने बीमा पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन किया था. कंपनी ने यह भी तर्क दिया कि मांगा गया मुआवजा बहुत अधिक था और इसका कोई कानूनी, न्यायसंगत और उचित आधार नहीं था.
ट्रिब्यूनल ने कहा कि चूंकि वाहन नाबालिगों द्वारा चलाया गया था, इसलिए पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन किया गया था. इस प्रकार ट्रिब्यूनल ने माना कि बीमा कंपनी मुआवजा देने और बाद में वाहन के मालिकों से 50% प्रत्येक के हिसाब से इसे वसूलने के लिए उत्तरदायी थी.
केस टाइटल: इफको-टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम कलईसेलवी और अन्य