Advertisement

'मॉब लिंचिंग के मामले को धार्मिक रंग ना दें', सेलेक्टिव फैक्ट्स रखने पर सुप्रीम कोर्ट ने दी प्रतिक्रिया

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में मॉब लिंचिंग से जुड़े मामले के दौरान इस घटना को सेलेक्टिव तरीके से पेश करने एवं धार्मिक रंग से बचने के सलाह दिया.

Written By My Lord Team | Published : April 18, 2024 10:47 AM IST

मॉब लिंचिंग की घटनाओं ने देश के प्रत्येक हिस्से का ध्यान अपनी ओर खींचा हैं. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी मॉब लिंचिंग से जुड़े मामले के दौरान इस घटना को सेलेक्टिव तरीके से पेश करने एवं धार्मिक रंग से बचने के सलाह दिया है. सर्वोच्च न्यायालय ने मामले में बड़े लक्ष्य पर केन्द्रित पर रहने के आदेश दिए हैं. सुनवाई के दौरान अदालत ने कन्हैया लाल मर्डर की घटना का जिक्र किया, जिसके प्रत्युत्तर में याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उन्होंने याचिका में इसका उल्लेख नहीं किया है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमन (NFIW) की मॉब लिंचिंग से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में देश भर में हुए मॉब लिंचिंग की समस्या पर चिंता जताने के साथ-साथ इस घटना में पीड़ित के परिवार के लिए मुआवजा देने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर राज्यों द्वारा की गई कारवाई की रिपोर्ट छह सप्ताह के अंदर देने को कहा है. अदालत ने इन राज्यों बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान एवं उड़ीसा को नोटिस जारी किया है.

मॉब लिंचिंग की घटना को धर्म का आधार न दें: SC

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस अरविंद कुमार एवं जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने इस मामले को सुना. याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट निजाम पाशा अदालत के सामने मौजूद रहें.

Advertisement

बेंच ने पूछा,

Also Read

More News

"क्या याचिका में उदयपुर के कन्हैया लाल की लिंचिंग की घटना का जिक्र है?"

एडवोकेट पाशा ने जबाव दिया,

Advertisement

"मुझे नहीं लगता कि हमने उस घटना का जिक्र किया है."

जस्टिस अरविंद कुमार ने पूछा,

"आप मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर सिलेक्टिव तो नहीं हो रहे"

एडवोकेट पाशा ने प्रत्युत्तर में कहा,

"बिल्कुल नहीं, माई लॉर्ड. मैं जांच करूंगा और अगर जिक्र नहीं किया गया है तो उस घटना का भी उल्लेख करूंगा."

एडवोकेट अर्चना पाठक दवे (एक राज्य की ओर से पेश वकील) ने कहा,

"याचिका में कहा गया है कि मुस्लिमों की भीड़ द्वारा हत्या की जाती है. किसी दूसरे धर्म के लोगों की हत्या का कोई उल्लेख नहीं है."

एडवोकेट निजाम पाशा ने कहा,

"यह समाज की वास्तविकता है और विशेष समुदायों के खिलाफ घटनाओं को कोर्ट के सामने लाया जा सकता है."

बेंच ने प्रतिक्रिया दी,

"आप कोर्ट में ऐसी दलील देने से बचें. धर्म के आधार पर घटनाओं पर ध्यान न दें. हमें बड़े कारण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए."

बेंच ने पक्षों को घटना की गंभीरता को ध्यान में रखने के निर्देश दिए हैं. बेंच ने इस मामले को धार्मिक रंग देने एवं सेलेक्टिव तरीके से फैक्ट रखने पर हिदायत दी है. कोर्ट ने मामले में प्रतिवादी राज्यों को छह हफ्ते के भीतर मॉब लिंचिंग से जुड़ी घटना पर की गई जांच की रिपोर्ट देने को कहा है.