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Pune Porsche Accident: 'नाबालिग को ऑब्जर्वेशन होम से रिहा करें', नाबालिग की चाची ने बॉम्बे हाईकोर्ट से की मांग

बॉम्बे हाईकोर्ट

पुणे पोर्शे कार दुर्घटना मामले में अब नाबालिग आरोपी की चाची (Minor's Aunt) ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की कि नाबालिग को ऑब्जर्वेशन होम से तुरंत रिहा किया जाना चाहिए.

Written By Satyam Kumar | Updated : June 16, 2024 1:21 PM IST

Pune Porsche Accident: पुणे पोर्शे कार दुर्घटना मामले में अब नाबालिग आरोपी की चाची (Minor's Aunt) ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि नाबालिग को किशोर न्याय बोर्ड (JJB) द्वारा अवैध और मनमाने ढंग से ऑब्जर्वेशन होम में रखा गया है. नाबालिग की चाची ने मांग की कि नाबालिग को ऑब्जर्वेशन होम से तुरंत रिहा किया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता के वकील ने नाबालिग की रिमांड अवधि बढ़ाने के फैसले को याचिका में संलग्न करने के लिए समय की मांग की. अदालत ने समय देते हुए मामले को 20 जून तक स्थगित की है.

बिना सुनवाई के राहत नहीं दी जाएगी: बॉम्बे HC

बॉम्बे हाईकोर्ट में, जस्टिस भारती डांगरे और मंजुषा देशपांडे की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई की. JJB की ओर से उपस्थित चीफ पब्लिक प्रोसीक्यूटर हितेन वेनेगांवकर ने याचिका का विरोध किया. उन्होंने दावा किया कि नाबालिग को कानूनी प्रक्रिया के तहत अवलोकन गृह में भेजा गया है.

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याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आबाद पोंडा ने नाबालिग की तुरंत रिहाई की प्रार्थना की. उन्होंने याचिका में 13 जून के आदेश को जोड़ने के लिए समय मांगा, जिसमें नाबालिग की ऑब्जर्वेशन होम में हिरासत बढ़ा दी गई थी.

खंडपीठ ने पोंडा को याचिका में संशोधन करने के लिए समय दिया, लेकिन बिना सुनवाई के कोई तत्काल राहत देने से इनकार कर दिया. मामले की सुनवाई 20 जून को निर्धारित की गई.

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याचिका में क्या कहा गया? 

नाबालिग की आंटी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. आंटी ने नाबालिग को ऑब्जर्वेशन होम में भेजने के फैसलो को चुनौती दी है. उन्होंने याचिका में कहा कि नाबालिग को किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम के तहत निर्धारित तरीके से सुरक्षित किया जाना चाहिए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि वह कठोर अपराधी न बन जाए.

उन्होंने यह भी बताया कि JJB ने 19 मई को जमानत देते हुए नाबालिग को उसके दादा की निगरानी में रखा था, लेकिन बाद में उसे एक ऑब्जर्वेशन होम में भेज दिया गया.

याचिका में दावा किया गया कि जज भी नाबालिग के खिलाफ सार्वजनिक भावनाओं से प्रभावित होते दिखाई पड़ रहे है.

याचिकाकर्ता ने कहा,

" दुर्घटना के मामले में उसके परिवार को एक राक्षसी परिवार के रूप में चित्रित किया जा रहा है. वर्तमान मामले में, दुर्भाग्यवश जज भी सार्वजनिक भावना और उनकी टिप्पणियों से प्रभावित होते दिख रहे हैं,"

याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मेनस्ट्रीम मीडिया रिपोर्टिंग के हस्तक्षेप पर रोक लगाने की मांग भी की, जिससे कानूनी प्रक्रिया का किसी प्रकार से उल्लंघन न हो.

क्या है मामला?

पुणे के एक प्रमुख बिल्डर के बेटे, नाबालिग ने कल्यानी नगर इलाके में अपनी पोर्शे कार से एक मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी, जिससे दो लोगों की मौत हो गई. बाद में पता चला कि दुर्घटना से पहले नाबालिग अपने दोस्तों के साथ एक पब में शराब का सेवन किया था.

नाबालिग के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304ए, 279, 337 और 338 के तहत लापरवाही से गाड़ी चलाने और जीवन की सुरक्षा को खतरे में डालने और लापरवाही से मौत का कारण बनने एवं महाराष्ट्र मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोप दर्ज किया गया.

नाबालिग को 19 मई को जमानत दे दी गई थी, लेकिन बाद में उसे एक ऑब्जर्बेशन होम में भेज दिया गया था. अब नाबालिग की चाची ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर में नाबालिग को रिमांड और हिरासत में रखने के JJB के आदेशों को रद्द करने की मांग की है.