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उधार दिए पैसे वापस मांगने पर महिला ने कर ली आत्महत्या, क्या Abetment of Suicide का केस बनेगा? जानें छत्तीसगढ़ HC ने क्या कहा

Chhattisgarh High Court ने कहा कि कोई कर्ज वापस मांगता है तो ये आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं माना जा सकता क्योंकि अगर किसी ने पैसे उधार दिए हैं वो इसे वापस पाने का हकदार है.

Written By arun chaubey | Published : October 21, 2023 3:35 PM IST

Abetment of Suicide: कर्ज (Loan) वापस मांगना आत्महत्या के लिए उकसाना (Abetment of Suicide) नहीं है. ये कहना है छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) का. कोर्ट ने कहा कि कोई कर्ज वापस मांगता है तो ये आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं माना जा सकता क्योंकि अगर किसी ने पैसे उधार दिए हैं वो इसे वापस पाने का हकदार है. इन टिप्पणियों के साथ हाईकोर्ट ने आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में शैला सिंह नाम की महिला के खिलाफ दर्ज FIR और चार्जशीट खारिज कर दी.

क्या था पूरा मामला?

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मृतिका के पति (नाम नरेश यादव), एक सरकारी शिक्षक, ने शौला सिंह को प्रधान मंत्री विकास कौशल योजना से संबंधित एक सरकारी योजना पेश की. शौला सिंह ने लगभग 10 लाख रुपए मृतिका के पति को दिए.

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इसके बाद मृतिका के पति ने बेईमानी करते हुए शौला सिंह की संस्था सहित संबंधित संस्था को उसके हिस्से का पैसा वापस नहीं किया. जब शौला ने मृतिका के पति (यादव) से कर्ज वापस करने को कहा तो उसने फोन तक उठाना बंद कर दिया. इसके बाद शौला ने कथित तौर पर मृतिका के पति-नरेश यादव को परिणाम भुगतने की धमकी दी और उक्त धमकी से दुखी होकर, नरेश यादव की पत्नी ने जहर खाकर जान दे दी. एजेंसी ने शौला के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 के तहत अपराध के लिए चार्जशीट दायर किया.

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महिला ने FIR रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था. महिला का कहना था कि उसने मृतक को आत्महत्या के लिए नहीं उकसाया. और शिकायतकर्ता के पास इससे जुड़ा कोई सबूत नहीं है.

आगे कहा कि उसने मृतक के पति से कर्जा वापस करने को कहा था, लेकिन उसने कभी भी पुलिस अधिकारियों से कोई शिकायत नहीं की और न ही पुलिस विभाग के किसी उच्च अधिकारी के समक्ष गई, जो मृतक को आत्महत्या के लिए उकसा सकती थी.

हाईकोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?

अदालत ने कहा कि भले ही अभियोजन पक्ष के बयान को सत्य और सही माना जाए, लेकिन ये साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं है कि महिला ने अपना कर्जा वापस पाने के लिए कोई जबरदस्ती का तरीका अपनाया था.

कोर्ट ने आगे कहा कि अगर महिला ने अपना पैसा वापस मांगा तो इसे आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं कह सकते. उसका पैसा है वो वापस पाने की हकदार है. इसके साथ ही हाईकोर्ट महिला के खिलाफ IPC की धारा 306 के तहत दर्ज केस रद्द किया.