Advertisement

मणिपुर हिंसा पर याचिका : उच्चतम न्यायालय ने याचिका मुख्य न्यायाधीश के पास भेजने को कहा

Supreme Court of India on Manipur Violence Investigation

मणिपुर में हुई घटना की जांच हेतु एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति के गठन हेतु याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता को उच्चतम न्यायालय ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष अपनी याचिका सूचीबद्ध करने के लिए कहा..

Written By Ananya Srivastava | Published : July 27, 2023 4:07 PM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने मणिपुर में यौन उत्पीड़न एवं हिंसा की घटनाओं के मामले में जांच के लिए शीर्ष अदालत के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में समिति के गठन का अनुरोध करने वाले याचिकाकर्ता से कहा कि वह प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष अपनी याचिका सूचीबद्ध कराएं।

यह मामला न्यायमूर्ति एस के कॉल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एक पीठ के समक्ष सूचीबद्ध कराने का उल्लेख किया गया था। प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अदालत बृहस्पतिवार को नहीं बैठेगी। याचिका दायर करने वाले वकील विशाल तिवारी ने पीठ को बताया कि मणिपुर हिंसा को लेकर चिंता जताने से संबंधित लंबित याचिकाओं को शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

Advertisement

समाचार एजेंसी भाषा के हिसाब से उन्होंने अनुरोध किया कि उनकी याचिका को भी अन्य संबंधित मामलों के साथ शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए। पीठ ने कहा, इस विषय पर एक और (याचिका) की क्या आवश्यकता है?’’ पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत पहले ही इस मुद्दे को लेकर दायर याचिकाओं पर विचार कर रही है।

Also Read

More News

शीर्ष अदालत ने कहा, इस देश में हर कोई इस पर कुछ कहना चाहता है।’’ शीर्ष अदालत ने कहा, इसका कल प्रधान न्यायाधीश के समक्ष उल्लेख करें।’’ अपनी याचिका में तिवारी ने दावा किया कि कानून के शासन के उल्लंघन और मणिपुर में दमनकारी क्रूरता, अराजकता के खिलाफ इस याचिका को दायर किया गया है।

Advertisement

तिवारी ने मणिपुर हिंसा मामले में अदालत से केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है। हिंसाग्रस्त मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने का वीडियो सामने आने के बाद शीर्ष अदालत ने 20 जुलाई को कहा था कि वह इस घटना से बेहद आहत’’ है और हिंसा को अंजाम देने के लिए महिलाओं को औजार के रूप में उपयोग करना संवैधानिक लोकतंत्र में बिल्कुल अस्वीकार्य है’’।

इस वीडियो पर संज्ञान लेते हुए प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र एवं मणिपुर सरकार को तत्काल सुधारात्मक, पुनर्वास और निवारक कदम उठाने और इस संबंध में की गई कार्रवाई से उसे अवगत कराने का निर्देश दिया था।