Advertisement

Mahua Moitra Expulsion Case: Supreme Court ने लोकसभा महासचिव को जारी किया नोटिस, तीन हफ्तों में मांगा जवाब

Mahua Moitra

सर्वोच्च न्यायालय ने महुआ मोइत्रा की याचिका की सुनवाई के बाद लोकसभा महासचिव को नोटिस जारी किया है और तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।

Written By Ananya Srivastava | Published : January 3, 2024 4:19 PM IST

नई दिल्ली: तृणमूल काँग्रेस (टीएमसी) की नेता महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) ने उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया था क्योंकि 'कैश-फॉर-क्वेरी' मामले (Cash For Query Case) में उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द (Lok Sabha Membership Cancelled) कर दी गई है और उन्हें अपना सरकारी आवास खाली करने का भी आदेश दिया गया है। इसी के चलते टीएमसी नेता ने एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी जिसमें आज, बुधवार को सुनवाई की गई। इस मामले में अगले सुनवाई अब 11 मार्च, 2024 को होगी।

उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई में क्या कहा?

इस मामले की सुनवाई उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश संजीव खन्ना (Justice Sanjiv Khanna) और न्यायाधीश दीपांकर दत्ता (Justice Dipankar Datta) की पीठ द्वारा की गई। सुनवाई के बाद पीठ ने लोकसभा के महासचिव या सचिवालय को एक नोटिस जारी किया है और सचिव (Lok Sabha Secretary) को सदस्यता रद्द करने पर तीन हफ्तों में जवाब देने का आदेश दिया है। महुआ मोइत्रा की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) पेश हुए थे और उन्होंने नेता हेतु राहत की गुहार लगाई थी जिसे उच्चतम न्यायालय ने ठुकरा दिया था।

Advertisement

क्या था पूरा मामला?

आचार समिति (Ethics Committee) ने टीएमसी नेता को व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी (Darshan Hiranandani) के साथ अपने संसदीय पोर्टल की लॉग-इन क्रेडेंशियल्स सांझा करके राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने का दोषी पाया था और इसी के चलते दिसंबर में महुआ मोइत्रा को संसद से बाहर कर दिया था, उनकी सदस्यता रद्द कर दी थी और उन्हें उनका सरकारी आवास खाली करने का भी आदेश दिया था।

Also Read

More News

महुआ मोइत्रा ने यह कहना था कि एथिक्स पैनल के पास उन्हें निष्कासित करने की शक्ति नहीं है और उन्होंने यह भी कहा कि व्यवसायी से नकदी स्वीकार करने का कोई सबूत नहीं है जो कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और उनके पूर्व साथी जय अनंत देहाद्राई द्वारा लगाया गया मुख्य आरोप था। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें हीरानंदानी और देहाद्राई को क्रॉस-क्वेश्चन करने की अनुमति भी नहीं दी गई थी।

Advertisement