Mahua Moitra Expulsion Case: Supreme Court ने लोकसभा महासचिव को जारी किया नोटिस, तीन हफ्तों में मांगा जवाब
नई दिल्ली: तृणमूल काँग्रेस (टीएमसी) की नेता महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) ने उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया था क्योंकि 'कैश-फॉर-क्वेरी' मामले (Cash For Query Case) में उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द (Lok Sabha Membership Cancelled) कर दी गई है और उन्हें अपना सरकारी आवास खाली करने का भी आदेश दिया गया है। इसी के चलते टीएमसी नेता ने एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी जिसमें आज, बुधवार को सुनवाई की गई। इस मामले में अगले सुनवाई अब 11 मार्च, 2024 को होगी।
उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई में क्या कहा?
इस मामले की सुनवाई उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश संजीव खन्ना (Justice Sanjiv Khanna) और न्यायाधीश दीपांकर दत्ता (Justice Dipankar Datta) की पीठ द्वारा की गई। सुनवाई के बाद पीठ ने लोकसभा के महासचिव या सचिवालय को एक नोटिस जारी किया है और सचिव (Lok Sabha Secretary) को सदस्यता रद्द करने पर तीन हफ्तों में जवाब देने का आदेश दिया है। महुआ मोइत्रा की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) पेश हुए थे और उन्होंने नेता हेतु राहत की गुहार लगाई थी जिसे उच्चतम न्यायालय ने ठुकरा दिया था।
क्या था पूरा मामला?
आचार समिति (Ethics Committee) ने टीएमसी नेता को व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी (Darshan Hiranandani) के साथ अपने संसदीय पोर्टल की लॉग-इन क्रेडेंशियल्स सांझा करके राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने का दोषी पाया था और इसी के चलते दिसंबर में महुआ मोइत्रा को संसद से बाहर कर दिया था, उनकी सदस्यता रद्द कर दी थी और उन्हें उनका सरकारी आवास खाली करने का भी आदेश दिया था।
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महुआ मोइत्रा ने यह कहना था कि एथिक्स पैनल के पास उन्हें निष्कासित करने की शक्ति नहीं है और उन्होंने यह भी कहा कि व्यवसायी से नकदी स्वीकार करने का कोई सबूत नहीं है जो कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और उनके पूर्व साथी जय अनंत देहाद्राई द्वारा लगाया गया मुख्य आरोप था। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें हीरानंदानी और देहाद्राई को क्रॉस-क्वेश्चन करने की अनुमति भी नहीं दी गई थी।