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मैजिक मशरूम ड्रग्स नहीं... केरल हाई कोर्ट ने NDPS Act में गिरफ्तार आरोपी को दी राहत

मैजिक मशरूम

केरल हाई कोर्ट का यह फैसला जमानत की मांग से जुड़ी याचिका पर आया, जिसमें पुलिस ने आरोपी के पास से चरस, गांजा, 276 ग्राम जादुई मशरूम्स के साथ 50 ग्राम के साइलोसाइबिन (Psilocybin) युक्त जादुई मशरूम कैप्सूल बरामद किया था.

Written By Satyam Kumar | Published : January 18, 2025 11:18 PM IST

हाल ही में केरल हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि जादुई मशरूम (Magic Mushroom) नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्स्टांसेस एक्ट, 1985 (NDPS Act, 1985) के अनुसार नशीला पदार्थ (Narcotic Substance) नहीं हैं. केरल हाई कोर्ट का यह फैसला जमानत की मांग से जुड़ी याचिका पर आया, जिसमें पुलिस ने आरोपी के पास से चरस, गांजा, 276 ग्राम जादुई मशरूम्स के साथ 50 ग्राम के साइलोसाइबिन (Psilocybin) युक्त जादुई मशरूम कैप्सूल बरामद किया था. बता दें कि जादुई मशरूम में साइलोसाइबिन पाया जाता है.

जस्टिस पीवी कुन्हिकृष्णन ने कहा कि जादुई मशरूम में भले ही थोड़ी मात्रा में साइलोसाइबिन (NDPS Act के तहत प्रतिबंधित नशीला पदार्थ) पाया जाता है, लेकिन इसे अपने आप में नशीला पदार्थ नहीं माना जा सकता. इसके अलावा, मैजिक मशरूम,नशीले पदार्थ और न्यूट्रल पदार्थ का मिश्रण है.

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जस्टिस कुन्हिकृष्णन ने कहा,

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"जादुई मशरूम या मशरूम को मिश्रण नहीं माना जा सकता है, इसलिए, छोटे और वाणिज्यिक मात्रा से संबंधित दावे इस मामले में लागू नहीं होगा."

वहीं, जमानत का विरोध कर रहे राज्य के वकील ने दावा किया कि अगर अदालत जादुई मशरूम को मिश्रण  मानती है, तो आरोपी से जब्त किए गए मशरूम का पूरा वजन 'व्यावसायिक मात्रा' की सीमा से ज्यादा  है.

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अदालत ने कहा कि साइलोसाइबिन मशरूम के साथ रासायनिक रूप से मिलाया नहीं गया है, बल्कि यह स्वाभाविक रूप से मशरूम के भीतर एक सक्रिय यौगिक के रूप में मौजूद है. अदालत ने यह स्पष्ट किया कि केवल साइलोसाइबिन के वजन को NDPS अधिनियम के तहत अवैध पदार्थ की मात्रा निर्धारित करने के लिए विचार किया जाना चाहिए, न कि मशरूम के कुल वजन को.

अदालत ने कहा,

"क्या मशरूम को मिश्रण माना जा सकता है? मैं अभियोजन की इस दलील को स्वीकार नहीं कर सकता। यह केवल फंगी (Fungi) है."

अंतत: अदालत ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि उसके पास वाणिज्यिक मात्रा का कोई सबूत नहीं है, इसलिए NDPS अधिनियम की धारा 37 के तहत जमानत दी जा सकती है. अदालत ने, यह पाते हुए कि आरोपी का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और वह अक्टूबर 2024 से अब तक 90 दिनों से जेल में हैं, आरोपी को सशर्त जमानत दी है.

केस टाइटल: राहुल रॉय बनाम केरल राज्य (Rahul Rai v State of Kerala)