बढ़ते भ्रष्टाचार के चलते Madras HC ने राज्य को दिया सरकारी कर्मचारियों की अवैध कमाई को जब्त करने का निर्देश
नई दिल्ली: मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) ने देश में बढ़ते भ्रष्टाचार के चलते राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वो राज्य सरकार के सभी कर्मचारियों के ऐसेट्स को वेरफाइ करें, खासकर पुलिस अधिकारियों की। अदालत ने राज्य से कहा है कि वो सरकारी कर्मचारियों कि संपत्ति का वेरीफिकेशन करें और फिर उनकी अवैध संपत्ति को जितनी जल्दी हो सके, जब्त कर लें।
अदालत का यह अवलोकन भी था कि देश ब्रशतचर के दलदल में गिरता चला जा रहा है और भ्रष्ट कर्मचारियों में भारतीय प्रसासनिक सेवा (Indian Administrative Service) और भारतीय पुलिस सेवा (Indian Police Service) के अधिकारी भी शामिल हैं।
मद्रास उच्च न्यायालय ने पास किया यह ऑर्डर
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एस एम सुब्रमणियम (Justice SM Subramaniam) ने 12 जुलाई को यह ऑर्डर दिया है जिसमें उन्होंने कहा है कि देश में भ्रस्टाचार की जड़ें मजबूत होती जा रही हैं और उनपर कोई सख्त रूप से ध्यान नहीं दे रहा है। अदालत को ऐसा लगता है कि आज के समय में, भारत में हर स्तर पर भ्रष्टाचार है, भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), पुलिस सेवा (IPS) और न्यायिक सेवा (Judicial Services) भी इससे वंचित नहीं है।
Also Read
- ED के पूर्व अफसर की बढ़ी मुश्किलें! बेंगलुरू कोर्ट ने घूस लेने के आरोपों को पाया सही, सुना दी ये कठोर सजा
- TASMAC Corruption Case: फिल्म निर्माता आकाश भास्करन को मद्रास हाई कोर्ट से राहत, ईडी ने वापस लिया नोटिस, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स लौटाने पर जताई सहमति
- क्या भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने के लिए सरकार की पूर्व अनुमति आवश्यक है? सुप्रीम कोर्ट ने बीएस येदियुरप्पा मामले को बड़ी बेंच के पास भेजा
गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक को निर्देश
जस्टिस सुब्रमणियम ने राज्य के गृह सचिव (State Home Secretary) और पुलिस महानिदेशक (Director General of Police) को तमिलनाडु अधीनस्थ पुलिस अधिकारी आचरण नियमों के नियम 9 के तहत राज्य भर में समय-समय पर पुलिस अधिकारियों द्वारा दी गई अनिवार्य घोषणा को सत्यापित करने का भी निर्देश दिया।
न्यायालय ने राज्य अधिकारियों को ऐसी घोषणाओं की वास्तविकता को सत्यापित करने का आदेश दिया, जिसमें परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और उनके परिचित व्यक्तियों के नाम पर खरीदी गई संपत्ति भी शामिल है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उच्च न्यायालय एक सरकारी कर्मचार एम राजेन्द्रन की याचिका की सुनवाई कर रहे थे जिनके खिलाफ अनुपातहीन संपत्ति होने का इल्जाम लगाया गया था।