'मजहब के नाम पर आतंकवाद अन्य धर्मों के प्रति घृणास्पद विचारों से आता है', मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का ISIS सदस्य को जमानत देने से इंकार
हाल ही में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने आईएसआईएस से जुड़े आतंकवादी मॉड्यूल के कथित सदस्य सैयद मामूर अली की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि धर्म के आधार पर आतंकवाद अन्य धर्मों (आस्थाओं) के प्रति घृणास्पद विचारों से उत्पन्न होता है. अदालत की यह टिप्पणी छह जनवरी को पारित आदेश में आया, जिसमें सैयद मामूर अली नाम के व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज कर दी. अली को मई 2023 में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने दो अन्य लोगों के साथ जबलपुर से गिरफ्तार किया था, उस पर धर्म के आधार पर आतंकी गतिविधि के आरोप लगे हैं. एनआईए के अनुसार, यह गुट वर्तमान अपीलकर्ता ने हिंदुओं को दावत (आमंत्रण) देकर उन्हें इस्लाम से संबंधित पर्चे बांटने लगे, साथ ही आतंकी गतिविधि को आगे बढ़ाने के लिए बड़ी मात्रा में हथियार प्राप्त करने के लिए जबलपुर स्थित आयुध कारखाने पर हमला करने की साजिश रची थी.
धर्म के आधार पर आतंकवाद दूसरे धर्म के प्रति करने वाले विचारों से बढ़ता है: HC
जस्टिस एसए धर्माधिकारी और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने आदेश में कहा कि हम कहेंगे कि धर्म के आधार पर आतंकवाद दूसरे धर्मों के प्रति घृणास्पद विचारों से उत्पन्न होता है जो मन से आता है और मन से फैलता है. अन्य भौतिक सहायता की आवश्यकता गौण है. हाईकोर्ट ने आगे कहा कि यह अदालत ऐसे व्यक्ति के प्रति अनुचित उदारता नहीं दिखा सकती जो आतंकवाद और गैरकानूनी गतिविधियों के गंभीर आरोपों का सामना कर रहा है.
हाईकोर्ट ने कहा कि मुकदमा भी पूरी गति से चल रहा है और तय समय में सुनवाई समाप्त होने की पूरी संभावना है. इसलिए, हम समग्र तथ्यों को देखते हुए इस स्तर पर अपीलकर्ता को जमानत देने के इच्छुक नहीं हैं. आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया कि इस फैसले में दर्ज निष्कर्ष केवल जमानत के लिए याचिका पर विचार करने के लिए हैं और अधीनस्थ अदालत इस अदालत द्वारा दिए गए किसी भी निष्कर्ष के आधार पर पूर्वाग्रह के बिना मामले में आगे बढ़ सकता है.
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आरोपी ने निचली अदालत के अप्रैल 2024 के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की थी, जिसमें उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी.
क्या है मामला?
अली पर अन्य लोगों के साथ मिलकर अपनी आतंकी गतिविधि को आगे बढ़ाने के लिए बड़ी मात्रा में हथियार हासिल करने के लिए जबलपुर में आयुध कारखाने पर हमला करने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है. एनआईए ने उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था.
एजेंसी ने मध्यप्रदेश के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) के साथ खुफिया जानकारी के आधार पर संयुक्त अभियान में तीन लोगों अली, मोहम्मद आदिल खान और मोहम्मद शाहिद को गिरफ्तार करके आईएसआईएस से जुड़े आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया था. जांच एजेंसी ने बताया कि उसने 11 स्थानों पर तलाशी के दौरान धारदार हथियार, गोला-बारूद, आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल उपकरण जब्त किए हैं.
आरोपियों की आस्था संविधान में नहीं दिखाई पड़ती: HC
एनआईए ने जांच शुरू की, जिसमें पता चला कि 2020 में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान आरोपी व्यक्तियों ने इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक के कुरान और हदीस पढ़ने के वीडियो देखकर धर्म की तुलना के बारे में ज्ञान प्राप्त करना शुरू कर दिया. एनआईए ने यह भी बताया कि वर्तमान अपीलकर्ता ने हिंदुओं को दावत (आमंत्रण) देना शुरू कर दिया और इस्लाम से संबंधित पर्चे बांटने शुरू कर दिए और सभी आरोपी व्यक्ति जिहाद को भड़काने और भारत सहित पूरी दुनिया में शरिया कानून लागू करने के लिए इस्लामी व्याख्यान के वीडिया देख रहे थे. एनआईए की जांच के अनुसार, सभी आरोपी व्यक्ति घनिष्ठ मित्र बन गए और कुरान एवं हदीस और जिहाद पर चर्चा करने लगे.
अदालत ने रिकॉर्ड पर रखे साक्ष्यों की पड़ताल करते हुए कहा कि जांच से पता चलता है कि अपीलकर्ता और अन्य सह-आरोपियों ने अपनी आतंकी गतिविधि को आगे बढ़ाने के लिए बड़ी मात्रा में हथियार प्राप्त करने के लिए जबलपुर स्थित आयुध कारखाने पर हमला करने की साजिश रची थी. अदालत को बताया कि आरोपियों ने यह भी तय किया कि अगर वे कारखाने पर कब्जा करने में सफल नहीं हो पाए तो वे जबलपुर आयुध कारखाने में विस्फोट कर देंगे. वर्तमान अपीलकर्ता ने कारखाने पर कब्जा करने के लिए प्रत्येक सुरक्षाकर्मी के पीछे तीन मुजाहिदों को तैनात करने का भी सुझाव दिया. एनआईए के आरोपों के अनुसार, वे पूरे भारत में अपनी हिंसा का विस्तार करना चाहते थे.
पीठ ने एनआईए जांच रिपोर्ट से टिप्पणी की कि यह भी आरोप लगाया गया है कि अपीलकर्ता ने सह-आरोपी मोहम्मद आदिल खान को तकनीकी प्रमुख की जिम्मेदारी दी और सह-आरोपी मोहम्मद कासिफ खान को विस्फोटक तैयार करने की जिम्मेदारी दी. उसने कहा कि इसके अलावा, सह-आरोपी कासिफ खान ने दैनिक उपयोग की सामग्री का उपयोग करके अत्यधिक ज्वलनशील विस्फोटक तैयार करने के लिए एक यूट्यूब वीडियो का लिंक साझा किया.
आरोपों के अनुसार, आरोपी व्यक्ति राष्ट्रवाद, लोकतंत्र, संविधान और मतदान प्रणाली की अवधारणा में विश्वास नहीं रखते थे और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करते थे. अदालत ने कहा कि वे अपने संगठन को मजबूत करने के लिए समान विचारधारा वाले लोगों की बड़ी संख्या में भर्ती करना चाहते थे। उन्होंने अपने उद्देश्य के लिए मासिक योगदान देने का भी फैसला किया और वे बैत-उल-माल के माध्यम से धन भी जुटाना चाहते थे.
(खबर PTI भाषा इनपुट से)