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हड़ताल के दौरान तोड़फोड़ करने वाले 29 वकीलों का लाइसेंस निलंबित

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने ये कार्रवाई जजों के लिए असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल करने, पुलिस अधिकारियों को धक्का देने और अदालती कार्यवाही में बाधा डालने के कार्य के लिए की है.

Written By nizamuddin kantaliya | Published : December 13, 2022 7:01 AM IST

नई दिल्ली, बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने उड़ीसा में हड़ताल के दौरान तोड़फोड़ करने वाले 29 वकीलों को निलंबित कर दिया है. बार काउंसिल ने अदालत में प्रैक्टिस करने के लिए आवश्यक इस लाइसेंस को अगले 18 महीने के लिए निलंबित किया है.

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बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने ये कार्रवाई जजों के लिए असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल करने, पुलिस अधिकारियों को धक्का देने और अदालती कार्यवाही में बाधा डालने के कार्य के लिए की है. बीसीआई ने अगले आदेश तक संबलपुर जिला बार एसोसिएशन (एसडीबीए) के इन सभी सदस्यों के प्रैक्टिस के लाइसेंस को निलंबित करते हुए एक अंतरिम आदेश भी पारित किया.

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ये 29 वकील हुए निलंबित

निलंबित किए गए अधिवक्ताओं में रामेश्वर मिश्रा, शिब दीवान, प्रमोद सराफ, सत्यनारायण पुरोहित, श्रीकांत पाणिग्रही, हिमांशु पाणिग्रही, महेंद्र बढ़े, अनूप तारिया, सिलु महापात्रा, सत्यनारायण पांडा, प्रबीन सिंहदेव, रबी पुजारी, सूरज बिस्वाल,चंद्रकांता मोहंती, नबीन सत्पथी, सरोज साहू, मनोरंजन दास, मानस मिश्रा, समीर महापात्रा, बंदिता मिश्रा, राजीव सत्पथी, बसंत मिश्रा, मिनकेतन भोई, रतन अग्रवाल, बिजेंद्र प्रधान, सुरंजिनी बारीक, प्रदीप बोहिडार, बाबुल पांडा और मनोरंजन पांडा का नाम शामिल है.

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अंतिम रिपोर्ट का इंतजार

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस मामले में बीसीआई रजिस्ट्रार के साथ-साथ राज्य बार काउंसिल को विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने को कहा है. रिपोर्ट पेश होने के बाद बीसीआई इस मामले पर अंतिम निर्णय लेगी.

गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से संबलपुर में उड़ीसा हाईकोर्ट की एक स्थायी बेंच स्थापित करने को लेकर वकील आंदोलन कर रहे है.सोमवार को भी जिला बार एसोसिएशन, संबलपुर ने  विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था और इसे सत्याग्रह करार दिया था.

अदालत में भी की तोड़फोड़

इस मुद्दे को लेकर उड़ीसा हाईकोर्ट प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी देते हुए वकीलों को भी निर्देश दिया था कि वे काम पर लौट जाए. हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट को स्थिति से अवगत कराने के बाद उसने राज्य पुलिस को अदालत में तोड़फोड़ करने वाले वकीलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

हड़ताल के दौरान वकीलों के प्रदर्शन के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए जिसमें वकीलों के हिंसक होते हुए अदालत कक्षों में घुसने और वहां संपत्तियों को नुकसान पहुंचाते हुए देखे गए. वीडियो सामने आने के बाद बीसीआई ने इस संज्ञान लिया.

बीसीआई चेयरमैन का बयान

वीडियो सामने के बाद बीसीआई चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने हड़ताली अधिवक्ताओं के इस आचरण को निंदनीय बताते हुए 29 वकीलों को तत्काल प्रभाव से 18 महीने के लिए निलंबित करने का आदेश जारी किया.

बीसीआई ने जारी किए बयान में कहा कि "वीडियो से साफ पता चलता है कि वहां प्रैक्टिस करने वाले लगभग सभी वकील (महिला और पुरुष) नारेबाजी करने, बार काउंसिल ऑफ इंडिया और स्टेट बार काउंसिल के जजों और पदाधिकारियों के पुतले जलाने, कोर्ट रूम में घुसने और कंप्यूटर को नुकसान पहुंचाने में बुरी तरह से शामिल रहें है. बीसीआई ने बयान जारी करते हुए कहा कि संबलपुर जिला बार एसोसिएशन के सदस्य भी पुलिस अधिकारियों और कर्मियों के साथ मारपीट और गाली-गलौज करते नजर आए है.

सख्त शब्दों में बीसीआई का बयान

बीसीआई ने बेहद सख्त शब्दों में कहा कि "वीडियो स्पष्ट रूप से दिखाता है कि एसडीबीए के सदस्यों के मन में न तो बीसीआई के लिए कोई सम्मान है और न ही सर्वोच्च न्यायालय द्वारा व्यक्त की गई गंभीर चिंता के लिए। वीडियो न केवल अत्यधिक परेशान करने वाला है, बल्कि यह अधिकारियों के लिए बेहद शर्मनाक है।"

बीसीआई ने चेयरमैन की ओर से जारी बयान में कहा कि बीसीआई एक संस्था के रूप में इस तरह की गुंडागर्दी को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं और ऐसे अधिवक्ताओं को कभी भी वकालत जैसे नेक पेशे में बने रहने की अनुमति नहीं देंगे,"

बीसीआई ने इस मामले में निलंबित किए वकीलों के साथ ही स्थानीय जिला बार के उन पदाधिकारियों का भी विवरण मांगा है जो हिंसक कार्य में लिप्त थे और उनका नाम सार्वजनिक किया जा सके.