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Job For Land से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लालू यादव एवं उनके बेटों को Delhi Court से मिली जमानत

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव

राउज एवेन्यू कोर्ट ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद और उनके बेटों तेजस्वी यादव एवं तेज प्रताप यादव को नौकरी के बदले जमीन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सोमवार को जमानत दे दी है.

Written By Satyam Kumar | Updated : October 7, 2024 12:13 PM IST

राउज एवेन्यू कोर्ट ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख एवं पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद और उनके बेटों तेजस्वी यादव एवं तेज प्रताप यादव को नौकरी के बदले जमीन’ से जुड़े धनशोधन मामले में सोमवार को जमानत दे दी है. पिछली सुनवाई में अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय की फाइनल चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए लालू यादव को परिवार सहित समन जारी करते हुए अदालत के सामने मौजूद रहने को कहा था.

लालू यादव एवं उनके बेटों को मिली जमानत

राउज एवेन्यू कोर्ट में विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने आरोपियों को एक-एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत देते हुए कहा कि जांच के दौरान उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया था. अदालत द्वारा पहले जारी किए गए समन के अनुपालन के तहत आरोपी उसके समक्ष पेश हुए. जज ने आरोपियों के खिलाफ दाखिल पूरक आरोप पत्र (Supplementary Chargesheet) पर संज्ञान लेने के बाद समन जारी किए थे. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छह अगस्त को अदालत के समक्ष अंतिम रिपोर्ट (Final Chargesheet) दायर की थी.

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तेजप्रताप यादव को कोर्ट ने जारी किया समन

तेजप्रताप यादव को ED ने चार्जशीट में आरोपी नहीं बनाया था राउज एवेन्यू कोर्ट ने  कोर्ट ने कहा कि इस मामले में उनकी सहभागिता से भी इंकार नहीं किया जा सकता, इसलिए कोर्ट ने तेजप्रताप को भी पेश होने के लिए समन जारी किया है.

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सीबीआई की तीसरी और आखिरी चार्जशीट में लालू यादव, पुत्री हेमा यादव और पुत्र तेज प्रताप यादव का नाम शामिल है. तेज प्रताप यादव का नाम पहली बार शामिल किया गया है. जमीन के बदले नौकरी का मामला 2022 में दर्ज किया गया था.इस मामले में सीबीआई ने पहली चार्जशीट अक्टूबर 2022 में दाखिल की थी. दूसरी चार्जशीट 3 जुलाई, 2023 में दायर हुई थी.

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CBI के बाद ED ने शुरू मनी लॉन्ड्रिंग की जांच

ईडी ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी के आधार पर अपना मामला दायर किया है. जांच एजेंसी के अनुसार, यह मामला 2004 से 2009 तक रेल मंत्री के रूप में लालू के कार्यकाल के दौरान मध्य प्रदेश के जबलपुर में रेलवे के पश्चिम-मध्य जोन में ग्रुप-डी में हुई भर्तियों से जुड़ा है। आरोप है कि रेलवे में भर्ती होने वाले लोगों ने नौकरी के बदले लालू के परिवार के सदस्यों और सहयोगियों को उपहार स्वरूप जमीन दी थी.