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लखीमपुर खीरी कांड: आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित, यूपी सरकार ने किया याचिका का विरोध

पीड़ित पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे भी याचिका का विरोध करते हुए अदालत से कहा कि यह एक साजिश और सुनियोजित तरीके से की गई हत्या थी.आरोपी एक प्रभावशाली व्यक्ति का बेटा है और इस मामले में आरोपी को जमानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा.

Written By My Lord Team | Published : January 19, 2023 12:45 PM IST

नई दिल्ली: बहुचर्चित लखीमपुर खीरी कांड के आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित ​रख लिया है. जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने भी याचिका का विरोध किया है.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जे के माहेश्वरी की पीठ ने लखीमपुर खीरी कांड के मुख्य आरोपी में शामिल आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान मिश्रा की याचिका का विरोध करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार कहा कि घटना के चश्मदीद गवाह ने आरोपी मिश्रा को मौके से भागते देखा था और यह बात चार्जशीट में भी है.
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समाज पर असर

एडिशनल एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद ने राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आशीष मिश्रा का अपराध गंभीर श्रेणी का है और ऐसे में आरोपी को जमानत देना समाज पर बुरा असर डाल सकता है.

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सुप्रीम कोर्ट लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा है। आशीष मिश्रा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसमें हाईकोर्ट ने आशीष मिश्रा को हिंसा मामले में जमानत देने से इंकार कर दिया था।
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एक साल से जेल में

आरोपी आशीष मिश्रा की ओर से पैरवी करते हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने अदालत के समक्ष तर्क पेश करते हुए कहा कि उनका मुवक्किल घटना के समय कार में या घटना स्थल पर मौजूद ही नहीं था. वह पिछले एक साल से ज्यादा समय से जेल में बंद है और जिस तरह से ट्रायल चल रहा है, वह पूरा होने में 7-8 साल लेगा.

रोहतगी ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहली पहली बार जमानत दी थी, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उस ज़मानत को रद्द कर दिया था.अगर उनके मु​व्वकिल को जमानत नहीं दी गई तो वह 5 से 8 साल तक सलाखों के पीछे रह सकता हैं.

चश्मदीद गवाह को लेकर रोहतगी ने कहा कि इस मामले में जिसने शिकायत की है, वह चश्मदीद गवाह नहीं है और उसकी शिकायत सिर्फ अफवाह पर आधारित है.

क्या कहा पीड़ित पक्ष

सुनवाई के दौरान पीड़ित पक्ष ने भी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका का विरोध किया.

पीड़ित पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे भी याचिका का विरोध करते हुए अदालत से कहा कि यह एक साजिश और सुनियोजित तरीके से की गई हत्या थी.आरोपी एक प्रभावशाली व्यक्ति का बेटा है और इस मामले में आरोपी को जमानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा.

दवे ने कहा कि यह एक कोल्ड ब्लडेड मर्डर था और एक गहरी साजिश थी. अगर आप भीड़ पर कार चला दें और 5 लोगों को मार दें तो क्या भीड़ प्रतिक्रिया नहीं देगी. लोगों में इस बात का आक्रोश था कि 10 फीट सड़क पर एक कार ने लोगों के ऊपर चढ़ने से 5 की मौत हो गई.

दवे ने कहा कि अगर इस मामले में आरोपी को जमानत दी जाती है तो समाज में गलत संदेश जाएगा. पीड़ितों के अन्य वकीलों ने भी पैरवी करते हुए कहा कि अगर इस मामले में आरोपी को जमानत दे दी जाती है, तो मुकदमे की सुनवाई नहीं होगी, क्योंकि वह बहुत शक्तिशाली पद पर है और केंद्र सरकार के एक मंत्री के बेटे भी है.

दोनो पक्षो की बहस सुनने के बाद जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है.