Krishna Janmabhoomi Dispute: सिंगल जज के फैसले को हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच के पास चुनौती क्यों नहीं दी? सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से पूछा, अब 4 नवंबर को होगी सुनवाई
Supreme Court On Krishna Janmabhoomi Dispute: मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में हिंदू उपासकों द्वारा दायर सिविल मुकदमों की स्थिरता बरकरार रखने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार किया है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष ये भी पूछा कि उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के सिंगल जज के फैसले को डिवीजन बेंच के पास चुनौती क्यों नहीं दी? सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले को 4 नवंबर के दिन संबंधित याचिकाओं के साथ सुनेगी.
हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इंकार
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से कहा कि अदालत के सामने विशेष अनुमति याचिका दायर करने से इलाहाबाद उच्च न्यायालय को हिंदू उपासकों द्वारा दायर मुकदमों की सुनवाई करने से नहीं रोक नहीं लगाई जाएगी. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले को संबंधित याचिकाओ के साथ 4 नवंबर को सुनेगी.
सिंगल बेंच के फैसले को HC में ही क्यों नही दी चुनौती?
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से पूछा कि वे इलाहाबाद हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के पास सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती क्यों नहीं दी? सुप्रीम कोर्ट ने इस बात से नाराजगी जाहिर की मुस्लिम पक्ष सिंगल बेंच के फैसले को लेकर सीधा सुप्रीम कोर्ट के पास चले आए. सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर में सुनवाई से पहले मुस्लिम पक्ष को विचार करने को कहा कि वे इस फैसले को हाईकोर्ट में डबल बेंच के पास चुनौती देना चाहते हैं या नहीं.
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कृष्ण जन्मभूमि विवाद में दायर सिविल सूट वैध
इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुस्लिम पक्ष ने 18 याचिकाओं की सुनवाई पर रोक लगाने की मांग की थी. मुस्लिम पक्ष ने कहा ये वर्सिप एक्ट का उल्लंघन है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि देवताओं के वाद को सुनवाई योग्य माना जाता है. हिंदू उपासकों, देवता संबंधित वाद पर पूजा स्थल अधिनियम पर रोक नहीं है. ऐसे में इस मामले को नहीं सुनना अनुचित होगा. मामले में हिंदू पक्ष की ओर से 18 याचिकाएं भगवान श्री कृष्ण विराजमान और 7 अन्य लोगों ने वकील हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडेय और देवकी नंदन की और से दायर की गई हैं.
सुप्री कोर्ट मस्जिद समिति द्वारा दायर एक याचिका पर भी विचार कर रही है, जिसमें उच्च न्यायालय द्वारा मुकदमों को अपने पास स्थानांतरित करने को चुनौती दी गई है.