Kolkata Doctor Case Supreme Court Live Hearing: सबकी निगाहें 'सुप्रीम कोर्ट' पर टिकी, कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर की घटना पर लिया है स्वत: संज्ञान
Kolkata Doctor Case Supreme Court Live Hearing: देश भर की निगाहें आज सुप्रीम कोर्ट की ओर टिकी रहेंगी. मेडिकल फ्रेटरनिटी सुप्रीम कोर्ट से महत्वपूर्ण निर्देश की आशा लगाए हुई है. आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर की रेप-मर्डर की घटना को सुप्रीम कोर्ट ने 18 अगस्त के दिन स्वत: संज्ञान में लिया है. सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री की वेबसाइट के कुछ ही देर में (10:30 बजे) सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ इस मामले को सुनेगी. पीठ में मुख्य न्यायाधीश के साथ जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जेबी पारदीवाला भी शामिल होंगे.
देश भर में डॉक्टरों का हड़ताल जारी, दोषियों को सजा की मांग
बता दें कि 19 अगस्त के दिन केन्द्र सरकार और फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (FAIMA) के बीच बैठक हुई थी, जिसमें दोनों पक्षों के बीच सहमति नहीं बन पाई. सहमति नहीं बनने से डॉक्टरों का देशव्यापी प्रदर्शन जारी है.
आरोपी की पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की मंजूरी, कोर्ट ने CBI को दी मंजूरी
कलकत्ता हाईकोर्ट ने कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर केस की घटना की जांच सीबीआई को सौंप दी है. सीबीआई इस मामले में आरोपी संजय रॉय की पॉलिग्राफ टेस्ट की मंजूरी दे दी है. पॉलीग्राफ टेस्ट में आरोपी के बयानों की जांच करेगी कि वह कितना सच या झूठ बोल रहा है. सीबीआई इससे पहले आरोपी की साइकोलॉजिकल टेस्ट करा चुकी है.
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मामले में सीबीआई की तीन सदस्यीय टीम आरोपी के घर पूछताछ करने गई थी. पूछताछ के बाद जांच एजेंसी ने दावा किया पीड़िता के परिवार का बयान और कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष का बयान में काफी अंतर है.
लाइव अपडेट
सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की अगली सुनवाई 22 अगस्त (गुरूवार) को करेगी
सीजेआई: हम गुरुवार की सुबह इस पर विचार करेंगे. कृपया हमारे पास वापस आएं, हम सभी डॉक्टरों को आश्वस्त करते हैं कि उनकी जो भी चिंता है, कृपया उसे हमारे सामने रखें. हम उनकी शिकायतों को दूर करेंगे.
सीजेआई: 15 अगस्त की रात को आरजी कर अस्पताल में तोड़फोड़ की घटना हुई। कहा जाता है कि भीड़ ने पुरुष और महिला डॉक्टरों पर व्यवस्थित तरीके से हमला किया। पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों के संगठन (प्रोटेक्ट द वारियर्स) की ओर से पेश सुश्री अपराजिता सिंह ने अस्पताल के एक वरिष्ठ रेजिडेंट द्वारा 19 अगस्त, 2024 को भेजे गए ईमेल को रिकॉर्ड में रखा है, जिसमें घटना का विवरण दिया गया है।
सीजेआई: हमें इस तथ्य से अवगत कराया गया है कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में लगभग 700 रेजिडेंट डॉक्टर थे. घटना के बाद,अधिकांश रेजिडेंट डॉक्टर अपनी ड्यूटी की जगह छोड़ चुके हैं और अब 30-40 महिला और 60 पुरुष डॉक्टर अपने हॉस्टल में रह गए हैं.
सीजेआई: डॉक्टरों के लिए अपनी ड्यूटी पर लौटने के लिए सुरक्षित परिस्थितियों को बनाए रखना आवश्यक है, न केवल अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए बल्कि अपने मरीजों को चिकित्सा सेवा प्रदान करने के लिए भी. इस प्रकार हमें एसजी मेहता द्वारा आश्वासन दिया गया है कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की सुविधा की सुरक्षा के लिए पर्याप्त संख्या में सीआईएसएफ की तैनाती की जाएगी. सिब्बल कहते हैं कि इसमें कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि इसका उद्देश्य जगह की सुरक्षा करना है.
सिब्बल: लेकिन तब वे (सीआईएसएफ) जिम्मेदार होंगे. दो तरह के फोर्स नहीं हो सकते है.
सीजेआई ने आदेश में कहा: उनकी (डॉक्टरों की) सुरक्षा के बारे में कोई भी चिंता इस न्यायालय के रजिस्ट्रार न्यायिक को ईमेल द्वारा रखी जा सकती है.
वकील: यहां 700 लोग रहते हैं, कुल 250 महिलाएं हैं और अब सिर्फ 100 लोग ही बचे हैं. 30 से 40 महिलाएं और 60 पुरुष रह गए हैं. बाकी सब चले गए हैं.
सीजेआई: आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल को सीआईएसएफ सुरक्षा मुहैया कराए.
एसजी: राज्य जानता है कि आपके पास शिकायत किसने की है. उस व्यक्ति को और अधिक सुरक्षा मुहैया कराई जाए.
जस्टिस पारदीवाला: हमने डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की है क्योंकि वंचित तबके के लोग परेशान हैं. अब अगर हम पुलिस से इन महिला डॉक्टरों को सुरक्षा देने के लिए कहें तो क्या यह पुलिस डॉक्टरों की सुरक्षा करेगी? कौन सी पुलिस अस्पताल की सुरक्षा करेगी?
सीजेआई: श्री सिब्बल, यह ईमेल इस डॉक्टर ने 19 अगस्त को रात 10 बजे कोलकाता पुलिस की आईडी पर भेजा था। हमें एक बात बताइए, पुलिस ने क्या किया?
सिब्बल: कल हमने कार्रवाई की है. कृपया वीडियो देखें, महामहिम. यह बेहतर है. मैं यहां किसी का बचाव करने नहीं आया हूं (जिसने गलत किया है), कृपया निश्चिंत रहे.
अदालत ने बलात्कार की धमकी माने वाली महिला डॉक्टरों की शिकायत पढ़ी.
सीजेआई: यह बहुत गंभीर मुद्दा है श्री सिब्बल. 37 लोगों को गिरफ्तार किया गया. और सीसीटीवी फुटेज से उनकी पहचान की गई. पश्चिम बंगाल सरकार इस तथ्य से अनभिज्ञ नहीं हो सकती कि जब विरोध प्रदर्शन होते हैं, तो हमेशा कोई न कोई ऐसा वर्ग आता है जो इसे बाधित करता है. महिला डॉक्टरों पर हमला किया जाता है, पुलिस मौके से भाग जाती है. इसके बाद महिला डॉक्टरों को नाम से पुकारा जाता है, विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले लोगों को धमकाया जाता है कि उनके साथ भी वही होगा जो दूसरे (मृतक पीड़िता) के साथ हुआ है. पुलिस बल पहले से क्या कर रहा था?
सिब्बल: सिब्बल: अस्पताल के बाहर 150 पुलिसकर्मी पहले से ही मौजूद थे. लेकिन 7000 लोग आ गए, जब तक हमें अतिरिक्त बल मिले, तब तक यह तोड़फोड़ हो चुकी थी.
सीजेआई: ऐसा नहीं लगता कि 7000 लोगों ने तोड़फोड़ की. अधिकतम 80-90 लोगों ने तोड़फोड़ की.
सिब्बल: हमारे पास वीडियो है, हम दिखाएंगे. इस पर कोई विवाद नहीं है। कोई पुलिस भागी नहीं है. अगर आप इन आरोपों को सच मान लें तो हमें दिक्कत है.
सीजेआई: हम उनका नाम नहीं बताना चाहते. लेकिन निश्चिंत रहें, यह कोई साधारण शिकायत नहीं है जो अभी हमारे पास आई है.
कुछ महिला डॉक्टरों के वकील: महिला डॉक्टरों को उनके माता-पिता द्वारा वापस बुलाया जा रहा है, क्योंकि वे सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं. उसी दिन (जब तोड़फोड़ हुई), पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया और नर्सों के चेंजिंग रूम में छिप गई. मैं राजनीतिक लड़ाई में नहीं फंसना चाहता. मेरे पास पुष्टि के लिए तीन प्रतियां हैं. माननीय न्यायाधीश देख सकते हैं कि डॉक्टरों की स्थिति क्या है.
एसजी: हमें भी शिकायतें मिली हैं। यह जमीनी हकीकत है. यही कारण है कि मेरे विद्वान मित्र चुप नहीं हैं.
सिब्बल: यह क्या है? हमने पूरी केस डायरी (सीबीआई को) दे दी है, आपको और क्या चाहिए?
सीजेआई: चूंकि यह अदालत सभी चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा से संबंधित मामले पर विचार कर रही है, इसलिए हम देश भर में विरोध प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों से अनुरोध करते हैं कि वे काम पर लौट आएं क्योंकि इससे मरीजों को स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं मिलने में दिक्कत आ रही है. देश की सर्वोच्च अदालत डॉक्टरों और चिकित्सा पेशेवरों पर विचार कर रही है.