जानिए क्या होता है चोरी, लूट और डकैती में अंतर, किस अपराध में कितनी सजा ?
नई दिल्ली: किसी भी देश और समाज में नागरिक अपनी संपत्ति या सामग्री को स्वतंत्र और बिना किसी रोक टोक के इस्तेमाल करना चाहता है. लेकिन कई बार समूह या समाज में रहने वाले दूसरे नागरिकों द्वारा इसमे अवरोध उत्पन्न किया जा सकता है. ये कृत्य चोरी, लूट, डकैती के रूप में भी सामने आते है.
देश में आर्थिक वस्तुओं के वितरण में असमानता ने चोरी, लूट और डकैती के अपराध को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है, पिछले कुछ समय में इस तरह के अपराध बहुत तेजी से बढे है.भारतीय दंड संहिता की धारा 378 से 402 में चोरी, लूट, डकैती जैसे अपराध का विस्तृत वर्णन किया गया है.
चोरी, लूट और डकैती के बीच अंतर समझने के लिए सबसे जरूरी तत्व मारपीट, धमकी, डर जैसे तत्व हैं. तीनों अपराध एक स्तर पर आगे बढते हुए होते है जिनमें मारपीट, धमकी और डर का स्तर बढ़ता जाता है.
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चोरी
IPC की धारा 378 के अनुसार कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के कब्ज़े में से कोई चल संपत्ति (Movable) को जब उसकी सहमति के बिना या बेईमानी से लेने की नियत के साथ हटा लेता हैं. तो यह चोरी कहलाता है.
चोरी में व्यक्ति चल संपत्ति को उसकी जगह से हटाता है और उस सामग्री या संपत्ति की चोरी के लिए किसी प्रकार की मारपीट, धमकी या डर बनाने का कार्य नहीं करता है.
उदाहरण के लिए अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के घर में चुपके से घुसकर कोई मौल्यवान चल संपत्ति जैसे की पैसे, गहने, सामान इत्यादि उठाकर ले जाता है तो वह चोरी कहलाएगी.
चोरी के अपराध के लिए IPC की धारा 379 में सजा का प्रावधान किया गया है. इस धारा के अनुसार चोरी करने वाले को तीन साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकता है.
IPC की धारा 380 के अनुसार चोरी अगर किसी के घर या निवास में की जाती है तो सात साल तक जेल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है.
लूट
चोरी का अपराध लूट और डकैती का पहला स्तर है. एक चोरी का अपराध लूट में तब्दील हो जाता है जब कोई व्यक्ति किसी संपत्ति की चोरी करने के लिए या उस चोरी से प्राप्त होने वाली संपत्ति को अपने साथ ले जाने के लिए अपराधी किसी व्यक्ति को मारने का या मारने जैसी स्थिति पैदा कर डर पैदा करता हैं या डर पैदा करने का प्रयास करता है. तो यह कृत्य लूट की श्रेणी में शामिल होगा.
चोरी में व्यक्ति चल संपत्ति को उसकी जगह से हटाता है, लेकिन लूट में एक कदम आगे बढते हुए अपराधी चोरी में जब हिंसा के साथ धमकी, सदोष अवरोध और भय जैसे तत्व करता है तो वह लूट बन जाती हैं.
IPC की धारा 390 में लूट की परिभाषा दी गई है.लूट चोरी का एक उग्र रूप है। यदि कोई व्यक्ति चोरी का कार्य करने के इरादे से चोट पहुंचाने, बंदी बनाने या मृत्यु का प्रयास करने का प्रयत्न करता है या वैसे करता है, तो इसे लूट के रूप में जाना जाता है
IPC की धारा 392 में लूट के लिए सजा का प्रावधान किया गया है. इसके अनुसार लूट का प्रयास करने वाले व्यक्ति को 10 साल का कठोर कारावास और जुर्माने की सजा का प्रावधान है.
लेकिन यहीं लूट का अपराध अगर सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले यानी अंधेरे में किया गया है तो दोषी को 14 वर्ष की उम्रकैद की सजा और जुर्माना दोनों दी जा सकती है.
लूट का मामला सीधे भी हो सकता है और कई बार यह चोरी के अपराध करने के दौरान पैदा भी हो सकता है. जैसे कोई व्यक्ति किसी के घर में मोबाइल या पैसे की चोरी के लिए प्रवेश करता है और इसी दौरान मकान मालिक द्वारा विरोध करने का अंदेशा होने पर वह चाकू निकाल कर डराने की कोशिश करता है तो यह लूट का अपराध होगा.
डकैती
डकैती का अपराध लूट के बाद अपराध का बढ़ता हुआ स्तर है. जब कोई व्यक्ति किसी संपत्ति की चोरी करने के लिए या उस चोरी से प्राप्त होने वाली संपत्ति को अपने साथ ले जाने के लिए 5 या 5 से अधिक व्यक्तियों के साथ होते हुए ये मिलकर लूट करते हैं तो यह डकैती होती है.
IPC की धारा 391 के अनुसार पांच या पांच से अधिक लोग मिलकर लूट करते हैं या लूट करने का प्रयास करते हैं और वे व्यक्ति जो वहां उपस्थित हैं और ऐसी लूट करते हैं या ऐसा करने का प्रयत्न करता है या इसमें मदद करता और उनकी कुल संख्या पांच या अधिक है तो कहा जाता है कि ऐसा हर व्यक्ति डकैती करता है.
साधारण शब्दों में हम कह सकते हैं कि लूट करने वाले समूह में जैसे ही पांच या पांच से अधिक लोग होते हैं, यह लूट डकैती में बदल जाती है.
IPC की धारा 395 में इस अपराध के लिए सजा का प्रावधान किया गया है. IPC की धारा 391 के अनुसार अपराध के दोषी को 10 वर्ष की जेल से लेकर आजीवन उम्रकैद की सजा तक दी जा सकती है.
संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध
चोरी, लूट और डकैती यह तीनो अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध है. यानी इन तीनों अपराधों में पुलिस के द्वारा आरोपीयों को बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है. और जमानत अदालत द्वारा ही दी जा सकती है.