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'आतंकवादी ओसामा बिन लादेन की तस्वीर और ISIS का झंडा रखना UAPA के तहत अपराध नहीं', Delhi HC ने आरोपी को जमानत दी

हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने यूएपीए के आरोपों के तहत गिरफ्तार हुए व्यक्ति को जमानत दी है. व्यक्ति के ऊपर ISIS संगठन की गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगे हैं.

Written By My Lord Team | Published : May 7, 2024 2:02 PM IST

Unlawful Activities Prevention Act: हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने यूएपीए के आरोपों तहत गिरफ्तार हुए व्यक्ति को जमानत दी है.  व्यक्ति के ऊपर ओसामा बिन लादेन की तस्वीर, आईएसआईएस (ISIS) का झंडा रखने के साथ-साथ आतंकवादी संगठन की गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगे थे. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के अनुसार, व्यक्ति ISIS के विचारों से प्रेरित था और उसमें शामिल होने की तैयारी में जुटा था. NIA ने आरोपी अम्मार अब्दुल रहमान को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (Unlawful Activities Prevention Act,1967) के तहत गिरफ्तार किया था.

आरोपी रहमान के खिलाफ NIA ने यूएपीए के सेक्शन 38 और 39 के साथ-साथ आईपीसी की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है.

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UAPA के आरोपी को मिली जमानत

दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस मनोज जैन की बेंच ने इस मामले को सुना. बेंच ने स्पष्ट किया आरोपी के पास से मिले समान के आधार पर यह अंदाजा लगाना संभव है कि उसके दिमाग में क्या चल रहा है. लेकिन ये चीजें ISIS की गतिविधियों में शामिल होने की बात को सिद्ध नहीं करती है.

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कोर्ट ने कहा,

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"ऐसी सामग्री रखना किसी व्यक्ति को आतंकवादी संगठन का सदस्य बताने या ये निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त नहीं है कि वो ISIS जैसे आतंकवादी समूह की गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है."

कोर्ट ने साफ कहा,

"ये तस्वीरें व्यक्ति के दिमाग में क्या चल रहा है, इसकी कुछ झलक तो दे सकती हैं, लेकिन वे ये साबित करने में विफल हैं कि वो ISIS की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है."

कोर्ट ने ये भी कहा,

"केवल इसलिए कि आरेपी के मोबाइल में आतंकवादी ओसामा बिन लादेन की तस्वीरें, जिहाद प्रचार, ISIS के झंडे आदि सहित आपत्तिजनक सामग्री पाई गई थी और वो कट्टरपंथी/मुस्लिम प्रचारकों के व्याख्यान भी सुन रहा था, उसे ऐसे आतंकवादी संगठन का सदस्य बताने के लिए पर्याप्त नहीं है."

यूएपीए के सेक्शन 38 और 39 में अंतर

दिल्ली कोर्ट ने बताया कि मामले में आरोपी के ऊपर लगे यूएपीए के सेक्शन 38 और 39 गलत हैं. व्यक्ति विचारों से प्रेरित से हो सकता है लेकिन मामले में अब तक कोई सबूत नहीं है जिससे साबित हो कि व्यक्ति ने ISIS की सदस्यता ग्रहण की है या बैन आतंकवादी संगठन की किसी प्रकार से सहायता की हो.

यूएपीए के सेक्शन 38 तब लगाया जाता है जब व्यक्ति ने आतंकवादी संगठन की सदस्यता ग्रहण की हो. वहीं, सेक्शन 39 उन परिस्थितियों में लागू होता है जब व्यक्ति ने आतंकवादी संगठन को मदद पहुंचाई हो.

दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले में आरोपी को जमानत दे दी है.