केसीआर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार, तो जज ने इस्तीफा ही दे दिया, जानें पूरा वाक्या
मंगलवार यानि की आज सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री की याचिका को समाप्त कर दिया है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस नरसिम्हा रेड्डी की अगुवाई वाली आयोग को फटकार लगाई है. आयोग को फटकार जांच की रिपोर्ट प्रेस कान्फ्रेस देने को लेकर पड़ी. इस बीच बेंच लंच के लिए उठी और जब दोबारा से बैठी तो सूचना आई की जस्टिस नरसिम्हा रेड्डी ने आयोग की अध्यक्षता से इस्तीफा दे दिया है जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की कार्यवाही को समाप्त कर दिया.
जस्टिस एल. नरसिम्हा रेड्डी आयोग पिछली बीआरएस सरकार द्वारा किए गए बिजली खरीद समझौतों और दो थर्मल पावर प्लांट के निर्माण की जांच के लिए जांच की कर रही थी जिसे लेकर तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट से आयोग की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की.
सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने इस केसीआर की याचिका को सुना. पीठ ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) प्रमुख द्वारा दायर याचिका का निपटारा किया, जब उसे बताया गया कि जस्टिस नरसिम्हा रेड्डी ने जांच आयोग से हटने का फैसला किया है.
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इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना राज्य को निष्पक्ष तरीके से इस जांच को कराने के निर्देश दिए है. साथ ही जज को बदलने के भी निर्देश दिए.
सुप्रीम कोर्ट में आने से पहले केसीआर ने तेलंगाना हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. केसीआर की याचिका तेलंगाना हाईकोर्ट ने खारिज की थी. 1 जुलाई को पारित अपने आदेश में, मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति अनिल कुमार जुकांति की खंडपीठ ने पक्षपात के इस आरोप को खारिज कर दिया कि आयोग निष्पक्ष रूप से काम नहीं कर रहा है और इसका गठन राजनीतिक कारणों से किया गया है
तेलंगाना हाईकोर्ट के समक्ष, केसीआर के वकील ने तर्क दिया कि आयोग कानून के विपरीत काम कर रहा है, उन्होंने दावा किया कि न्यायमूर्ति नरसिम्हा रेड्डी ने जांच के विवरण की घोषणा करने के लिए एकतरफा प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करके सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ काम किया.
वकील ने आगे कहा,
आयोग ने केसीआर को नोटिस जारी कर बिजली खरीद समझौतों और बिजली संयंत्रों के निर्माण से संबंधित विवरण मांगा था. चूंकि वे लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार में व्यस्त थे, इसलिए उन्होंने जवाब देने के लिए और समय मांगा. लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री के जवाब प्रस्तुत करने से पहले ही, जस्टिस नरसिम्हा रेड्डी ने 15 जून को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की और कहा कि बिजली खरीद समझौतों और बिजली संयंत्रों के निर्माण में अनियमितताएं है. अपनी याचिका में, केसीआर ने तर्क दिया कि जांच आयोग अवैध, मनमाना, प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत और संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन करता है.
वहीं, जस्टिस के जांच समिति से हटने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केसीआर की याचिका खारिज कर दी है.