फेसबुक को कर्नाटक उच्च न्यायालय की चेतावनी, सहयोग न करने पर बंद हो सकता है संचालन
बेंगलुरु: कर्नाटक हाई कोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक को मौखिक रूप से चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अगर उसके द्वारा फर्जी प्रोफाइल की जांच में सहयोग नहीं किया जाता है तो भारत में उसका संचालन बंद दिया जा सकता है.
कर्नाटक हाई कोर्ट ने ये चेतावनी मंगलुरु की कविता नाम की महिला द्वारा दायर एक याचिका की सुनवाई करते हुए जारी की है. दरअसल कविता का पति सऊदी अरब में रहता था. कुछ वर्ष पहले उसे सऊदी के शासक एवं इस्लाम पर अपमानजनक टिप्प्पड़ी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. तबसे वो सऊदी की जेल में बंद है. इस मामले में शैलेश की पत्नी कविता का कहना है कि उसका पति निर्दोष है और जिस पोस्ट के आधार पर उसे गिरफ्तार किया गया है वो किसी अन्य व्यक्ति द्वारा फर्जी प्रोफाइल बनाकर की गई है.
कविता ने पहले पुलिस को इस बारे में शिकायत की लेकिन पुलिस जब जांच करने में नाकाम हो गई तो फिर कविता ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. उनके द्वारा साल 2021 में एक याचिका दायर की गई.
Also Read
- क्या Payment Platform को यूजर की जानकारी जांच एजेंसी से शेयर करना पड़ेगा? जानें Karnataka HC ने फोनपे से क्या कहा?
- कन्नड़ को लेकर विवादित बयान देने का मामला, FIR रद्द कराने की मांग को लेकर Karnataka HC पहुंचे सिंगर सोनू निगम
- बीमा कंपनी, Mediclaim के तहत मिले रिफंड को घटाकर देगी मुआवजा, सड़क दुर्घटना मामले में HC का बड़ा फैसला
न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित ने बुधवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए ये चेतवानी जारी की. इससे पहले 12 जून को इस मामले की सुनवाई करे हुए उच्च न्यायालय ने आदेश दिया था,पुलिस आयुक्त मंगलोर (मंगलुरु) को मामले के कागजात पढ़ने और अदालत के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया जाता है। वह जवाब दें कि विषय की जांच करने में इतनी देर क्यों हुई, जब इस देश का एक नागरिक विदेश में मुकदमे व दोषसिद्धि के बाद जेल में है, जो दावा कर रहा है कि उसका फेसबुक अकाउंट हैक हो गया था।’’
कविता के अनुसार शैलेश 25 वर्षों से सऊदी अरब में हैं. CAA और NRC के समर्थन में उनके द्वारा एक पोस्ट किया गया था लेकिन इसके बाद उन्हौने अपना अकाउंट बंद कर दिया था. लेकिन कुछ बदमाशों के द्वारा उनके नाम पर फर्जी अकॉउंट बनाकर सऊदी के शासक एवं इस्लाम के खिलाफ पोस्ट किया गया. इस पोस्ट के कारण शैलेश को गिरफ्तार करके 15 साल की सजा सुना दी गई.
इस मामले में जब फेसबुक से पुछा गया तो उनके वकील के द्वारा कहा गया की घटना के सटीक स्थान की जानकारी उनके पास नहीं है. इसके बाद ही उच्च न्यायालय ने चेतावनी दी कि यदि इसने जांच में सहयोग नहीं किया तो फेसबुक के संचालन को बंद करने का आदेश देना पड़ेगा. अधिवक्ता ने जरूरी विवरण सौंपने के लिए एक हफ्ते का वक्त मांगा। उच्च न्यायालय ने सुनवाई 22 जून तक के लिए टालते हुए फेसबुक को घटना और संबद्ध सूचना पर एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया
फेसबुक की मूल कंपनी मेटा को याचिका में 29 मई 2023 को एक पक्ष बनाया गया। उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को भी निर्देश दिया कि वह एक फर्जी मामले में विदेशी जेल में कैद भारतीय नागरिक की सुरक्षा के लिए उठाये गये कदमों का विवरण दे।
अदालत ने 12 जून के आदेश में कहा, केंद्र सरकार भी एक सीलबंद लिफाफे में यह विवरण दे कि संबद्ध नागरिक का क्या हुआ;विदेशी धरती पर क्या उसे वकील मुहैया कराया गया; क्या मुकदमे की कार्यवाही निष्पक्ष मानकों के साथ हुई...।’’ अदालत ने केंद्र को चेतावनी दी कि यदि मांगे गये विवरण नहीं दिये जाते हैं तो विदेश विभाग के संबद्ध सचिव को व्यक्तिगत रूप से अदालत के समक्ष तलब किया जा सकता है।