जस्टिस अभय ओका पांच सदस्यीय सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का हिस्सा बने, जानें इसके मायने
जस्टिस अभय श्रीनीवास ओका सुप्रीम कोर्ट के पांच सदस्यीय कॉलेजियम के नए सदस्य है. उन्हें इस कॉलेजियम में सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने शामिल किया है. बता दें कि पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के रिटायरमेंट के बाद, दस नवंबर के दिन, पांच और तीन सदस्यीय कॉलेजियम का पुनर्गठन किया गया है.
पांच सदस्यीय कॉलेजियम के मेंबर
सुप्रीम कोर्ट में जजों का चयन करने वाले पांच सदस्यीय कॉलेजियम में चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के अलावा जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एएस ओका शामिल हैं.
तीन सदस्यीय कॉलेजियम के मेंबर
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का चयन करने वाले तीन सदस्यीय कॉलेजियम में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत सदस्य होंगे.
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क्या है कॉलेजियम?
कॉलेजियम व्यवस्था (Colelgium System) किसी कानून की जगह एक परंपरा के तौर पर शुरुआत हुई थी. कॉलेजियम में देश की अदालतों में जजों की नियुक्ति व उनके ट्रांसफर के मामलों की देखरेख करती है. कॉलेजियम की सिफारिश पर ही हाईकोर्ट के जजों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर व नियुक्ति की जाती है. बता दें कि साल 2018 में पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई वाली पीठ वर्तमान में सीजेआई संजीव खन्ना और पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को सुप्रीम कोर्ट जज बनाने के सिफारिश की थी.
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग, 2014
बता दें कि अक्सर ही कॉलेजियम को आलोचनाओं का सामना नहीं करना पड़ता है, जिसे लेकर केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) 2014 को लागू करने की सिफारिश की थी. एनजेएसी (NJAC), कॉलेजियम के कार्यों को करती. 16 अक्टूबर 2015 के दिन SCAOR बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने 4:1 से एनजेएसी एक्ट को खारिज कर दिया था. केवल एक जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर ने इस मामले में बहुमत के फैसले से असहमति जताई थी. केवल जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर से असमहति जताते हुए एनजेएसी को संवैधानिक ठहराया था.
(खबर PTI भाषा के इनपुट से है)