Delhi Coaching Centre Death Case: 'सोचना भी मत कि मेरी कोर्ट में बदतमीजी कर सकोगे', वकील के रवैये पर जज को आया गुस्सा
Delhi Coaching Centre Death Case: राउज एवेन्यू कोर्ट में जज अंजू बजाज चंदना बेसमेंट मालिकों की नियमित जमानत की मांग पर अपना फैसला सुनानेवाली थी. इस दौरान अदालत में मौजूद एक मृतक छात्र के पिता का पक्ष रख रहे वकील के रवैये पर जिला जज गुस्सा को आ गया. उन्होंने कहा कि सुबह मेरे कर्मचारी बता रहे थे कि आप उनके साथ भी बदतमीजी से पेश आ रहे थे, ऐसा सोचना भी मत कि मेरी कोर्ट में आकर बदतमीजी कर सकोगे. जज ने वकील को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर आप यहीं नहीं रूके तो आपके ऊपर अदालत की अवमानना का मुकदमा भी चलाया जा सकता है.
बदतमीजी से पेश आए तो अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाएगी: जज ने वकील को चेताया
राउज एवेन्यू कोर्ट में प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज अंजू बजाज चांदना ने गुरुवार को एक वकील को चेताया कि अगर उन्होंने कोर्ट में गलत व्यवहार न करें, नहीं तो वह उसके ऊपर अदालत की अवमानना का मामला शुरु करने का आदेश देगी. मृतक छात्र के पिता के वकील ने 27 जुलाई को डूबने की घटना वाली बिल्डिंग के बेसमेंट और तीसरी मंजिल की बिल्डिंग मंजूरी के कागज मंगाने के लिए निर्देश देने की मांग करते हुए एक आवेदन दिया था. अदालत ने उसका आवेदन एसीजेएम के पास सुनवाई के लिए भेज दिया, जिस पर वकील ट्रांसफर करने के फैसले को रद्द कर जिला जज से ही मामले की सुनवाई करने का जिद्द करने लगा.
वकील ने कहा,
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"सुनवाई पाना मेरा अधिकार है. मैं अपना पक्ष रखना चाहता हूं."
इस पर अदालत ने कहा कि उसने आवेदन को दूसरी अदालत में मार्क कर दिया है, जहां संबंधित आवेदनों की सुनवाई हो रही है.
जज ने कहा,
"मैंने आपका मामला मार्क कर दिया है, आप जा सकते हैं."
सुनवाई के लिए जोड़ देते हुए वकील ने कहा,
"कृपया मेरा आवेदन खारिज कर दें."
अदालत ने कहा,
"सोचना भी मत कि मेरी अदालत में बदतमीजी कर सकते हो. मेरे कर्मचारी मुझे बता रहे हैं कि आप आज सुबह से उनके साथ भी बदतमीजी कर रहे हैं."
अदालत ने वकील को एसीजेएम की अदालत में जाने का आदेश दिया, जहां उसके आवेदन को ट्रांसफर किया गया था.
वकील द्वारा दायर आवेदन में बेसमेंट और नाली सहित तीसरी मंजिल की स्वीकृत बिल्डिंग योजना और उस इमारत की तीसरी मंजिल का लीज डीड मांगा गया था जिसमें कोचिंग चल रही थी. आवेदन में कहा गया है कि इन दस्तावेजों का मामले से 'सीधा संबंध' है और ये 'बहुत प्रासंगिक' हैं, इसलिए कार्यवाही में आवश्यक और वांछनीय हैं.