पत्रकार सिद्दीकी कप्पन ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत की शर्तों में ढील देने की मांग, कहा- थाने में रोज हाजिरी लगानी पड़ती है
Supreme Court: मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन द्वारा दायर याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है, जिन्हें हाथरस मामले के सिलसिले में दो साल बाद जमानत दी गई थी. सिद्दकी कप्पन को जमानत की शर्त में ढील देने की मांग की, जिसमें उन्हें हर सोमवार को पुलिस स्टेशन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए कहा गया था.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस पीएस नरसिम्हा और आर महादेवन की पीठ ने उत्तर प्रदेश की ओर से पेश वकील से राज्य से निर्देश प्राप्त करने को कहा और मामले को दो सप्ताह बाद सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया है. सितंबर 2022 में, शीर्ष अदालत ने कप्पन को जमानत दी थी, जिन्हें उत्तर प्रदेश पुलिस ने कथित हाथरस साजिश मामले में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) और अन्य आरोपों के तहत मामला दर्ज किया था.
अक्टूबर 2020 में उन्हें उत्तर प्रदेश के हाथरस जाते समय गिरफ़्तार किया गया था, जब वहाँ की एक दलित महिला की सामूहिक बलात्कार के बाद मौत हो गई थी. उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा था कि कप्पन के चरमपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) से घनिष्ठ संबंध हैं. उत्तर प्रदेश ने कहा था कि कप्पन के PFI और उसके छात्र विंग, कैंपस फ्रंट ऑफ़ इंडिया (CFI) जैसे आतंकी फंडिंग/योजना संगठनों के साथ गहरे संबंध हैं.
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उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा था कि इन संगठनों के तुर्की में IHH जैसे अलकायदा से जुड़े संगठनों से कथित तौर पर संबंध पाए गए हैं. उत्तर प्रदेश पुलिस ने 5 अक्टूबर, 2020 को मथुरा के मांट इलाके से कप्पन और तीन अन्य को गिरफ़्तार किया था. पुलिस ने दावा किया था कि आरोपी इलाके में शांति और सद्भाव को बिगाड़ने के लिए हाथरस की यात्रा कर रहे थे. पुलिस ने कहा था कि उसने मथुरा में PFI से संबंध रखने वाले चार लोगों को गिरफ़्तार किया है और गिरफ़्तार किए गए लोगों की पहचान मलप्पुरम के सिद्दीकी, मुज़फ़्फ़रनगर के अतीक-उर रहमान, बहराइच के मसूद अहमद और रामपुर के आलम के रूप में की है. हालांकि, मलयालम समाचार पोर्टल अजिमुखम के रिपोर्टर और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (केयूडब्ल्यूजे) की दिल्ली इकाई के सचिव कप्पन ने कहा है कि वह 19 वर्षीय दलित लड़की के सामूहिक बलात्कार और हत्या की घटना की रिपोर्टिंग करने वहां जा रहे थे.