Waqf Amendment Bill को 14 संशोधनों के साथ JPC की मंजूरी, विपक्ष ने कहा- बात नहीं सुनी गई
ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (Joint Parliamentary Committee) ने आज (सोमवार) को वक्फ संशोधन बिल को मंजूरी दे दी है. वक्फ बोर्डों के प्रशासन में सुधार लाने के लिए इस बिल में बीजेपी-नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के सदस्यों द्वारा प्रस्तावित 14 संशोधनों को स्वीकार किया गया है. कमेटी ने इस बिल को 16:10 के अंतर से मंजूरी दी, जिसमें 16 सदस्य NDA से और 10 विपक्षी दलों से थे. रिपोर्टों के अनुसार, वक्फ बिल में कुल 66 संशोधन प्रस्तावित किए गए थे, जिसमें से 23 सत्तारूढ़ बीजेपी सांसदों और 44 विपक्षी सदस्यों के थे. बता दें कि पहले JPC को वक्फ बिल पर अपनी सिफारिशें 29 नवंबर तक प्रस्तुत करनी थीं, लेकिन बाद में इस तय समय सीमा को 13 फरवरी तक बढ़ा दिया गया है.
वहीं, वक्फ बिल संशोधन को रजामंदी देते हुए जेपीसी ने तीन अहम बदलाव किए है,
- कोई संपत्ति वक्फ है या नही, इसके निर्धारण का अधिकार संशोधन बिल में ज़िला कलेक्टर को दिया गया था. लेकिन अब जेपीसी कमिटी ने इसमें बदलाव करने की अनुशंसा की है अब कलेक्टर की बजाय राज्य सरकार की ओर से नामित जिला अधिकारी से बड़ा अधिकारी उसका फ़ैसला करेगा.
- संसद में पेश हुए संशोधित बिल में प्रावधान है कि राज्य वक़्फ़ बोर्ड और केंद्रीय वक़्फ़ परिषद में दो गैर मुस्लिम सदस्य होंगे अब बदलाव करके पदेन सदस्यों को इससे अलग रखा गया है, इसका मतलब ये हुआ कि नामित सदस्यों में से दो सदस्यों का गैर मुस्लिम होना अनिवार्य होगा (इससे फ़र्क़ नहीं पड़ेगा कि पदेन सदस्य गैर मुस्लिम है या नहीं ).
- नया क़ानून Retrospective तरीके से लागू नहीं होगा, यानी बिल को संसद से मंजूरी मिलने के बाद से ही लागू किया जाएगा.
लेकिन जेपीसी ने फैसला किया है कि वक़्फ़ संपत्ति को पंजीकृत होना अनिवार्य होगा. यानी पहले की भी जो वक़्फ़ सम्पत्ति है, उसका रजिस्टर होना ज़रूरी होगा, अन्यथा उन सभी सम्पत्तियों का फैसला बिल में तय मानकों के अनुसार होगा. हालांकि कांग्रेस सांसद और जेपीसी सदस्य इमरान मसूद ने कहा कि 90 फीसदी वक़्फ़ संपत्ति पंजीकृत नहीं है.
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बैठक के बाद समिति के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल ने संवाददाताओं से कहा कि समिति द्वारा अपनाए गए संशोधन कानून को बेहतर और अधिक प्रभावी बनाएंगे. जेपीसी अध्यक्ष जगदम्बिका पाल ने बताया कि एनडीए सदस्यों द्वारा विधेयक के 14 संशोधनों को स्वीकार कर लिया है. उन्होंने कहा कि विपक्ष के सदस्यों ने सभी 44 सेक्शन में बदलाव के लिए सैकड़ों संशोधन पेश किए, लेकिन सभी को वोट द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया.
हालांकि, विपक्षी सांसदों ने बैठक की कार्यवाही की निंदा की और पाल पर 'लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने' का आरोप लगाया. तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि यह एक मजाकिया प्रक्रिया थी. हमें नहीं सुना गया. पाल ने तानाशाही तरीके से काम किया.पाल ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक थी और बहुमत की राय को प्राथमिकता दी गई.
(खबर पीटीआई इनपुट से है)