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डायन प्रथा को रोकने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए, Jharkhand High Court ने मांगा जवाब

Jharkhand high court asks govt to submit detailed report on witch hunting

अदालत ने सरकार से स्थिति में सुधार के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने वाली एक व्यापक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। सुनवाई की अगली तारीख नौ सितंबर तय की गई है।

Written By My Lord Team | Published : August 3, 2023 11:14 AM IST

रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने डायन बताकर निशाना बनाने के मामले रोकने के लिए प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में राज्य सरकार को विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए।

मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आनंद सेन की खंडपीठ ने किसी को डायन बताकर उसका सार्वजनिक रूप से अपमान करने और कई मामलों में पीड़ितों की मौत होने की बढ़ती घटनाओं का स्वत: संज्ञान लेते हुए एक जनहित याचिका पर सुनवाई की।

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अदालत ने सरकार से स्थिति में सुधार के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने वाली एक व्यापक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। सुनवाई की अगली तारीख नौ सितंबर तय की गई है।

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समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार न्यायाधीशों ने इस मामले पर चिंता व्यक्त की और कहा कि डायन बताकर किसी को निशाना बनाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए सरकार द्वारा अलग-अलग अधिनियम बनाए गए हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि इनसे कुछ खास लाभ नहीं हुआ।

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न्यायाधीशों ने कहा कि किसी को डायन करार देकर भीड़ द्वारा उसकी पीट-पीटकर हत्या किए जाने की खबरें अक्सर आती रहती हैं। पीठ ने कहा कि समाज में फैली इस बुराई को रोकने के लिए अंधविश्वास से बड़े पैमाने पर निपटना होगा।

अदालत ने कहा कि लोगों को जागरुक करना होगा और सकारात्मक परिणाम सुनिश्चित करने के लिए जागरुकता कार्यक्रमों की योजना बनाकर उन्हें लगातार क्रियान्वित करने की जरूरत है। सरकार ने अदालत को बताया कि पीड़ितों के साथ मारपीट और हत्या के सबसे ज्यादा मामले गुमला जिले में सामने आए हैं।

सरकारी वकील ने कहा कि जिले के ग्रामीण इलाकों में सबसे अधिक अंधविश्वास है। एक समाचार रिपोर्ट में बताया गया था कि राज्य की राजधानी से कुछ किलोमीटर दूर मांडर में सात अगस्त, 2015 को पांच महिलाओं को डायन बताकर प्रताड़ित किया गया और उनकी हत्या कर दी गई।

रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं को निर्वस्त्र कर गांव में घुमाया गया था और फिर उनकी हत्या कर दी गई थी। इसके बाद, उच्च न्यायालय ने 2015 में स्वत: संज्ञान लेकर इस जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू की।