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Jaipur Bomb Blasts: Rajasthan HC के फैसले के खिलाफ SC ने पीड़ितो की अपील को किया स्वीकार

Supreme Court ने अपील को स्वीकार करते हुए बम ब्लास्ट केस में निचली अदालत के रिकॉर्ड को तलब करते हुए मामले की सुनवाई 17 मई को तय की है. SC ने इस मामले में फिलहाल राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने से इंकार करते हुए चारों दोषियों को भी नोटिस भेजा है.

Written By Nizam Kantaliya | Published : May 12, 2023 2:33 PM IST

नई दिल्ली: जयपुर सीरियल बम ब्लास्ट मामले में 4 दोषियो को बरी करने के राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ पीड़ितो के परिजनों की ओर से दायर अपील को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने अपील को स्वीकार करते हुए बम ब्लास्ट केस में निचली अदालत के रिकॉर्ड को तलब करते हुए मामले की सुनवाई 17 मई को तय की है.

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सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पीड़ितो की ओर से दायर अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार करने के साथ ही राजस्थान सरकार की अपील को भी अनुमति दे दी है.

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SC ने फैसले पर रोक लगाने से किया इंकार, दोषियों को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फिलहाल राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने से इंकार करते हुए चारों दोषियों को भी नोटिस भेजा है.

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पीड़ित परिजनों और राज्य सरकार की दलीले सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस स्टेज पर हाईकोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगा सकती है इसलिए पहले वह ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड को देखने के बाद ही निर्णय लेगी.

पीठ ने दोषियों को जेल भेजने के मामले पर भी कहा कि दो​षियों को लगातार जेल में नहीं रखा जा सकता, दोषियों को फिलहाल जेल में रखने पर सहमत नहीं, क्योंकि वो बरी हो चुके है.

राज्य सरकार ने दायर की अपील, अटॉर्नी जनरल करेंगे पैरवी

जस्टिस ए एस ओका और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ के समक्ष हुई सुनवाई के दौरान पीड़ितो के साथ राजस्थान सरकार ने भी हाईकोर्ट के फैसले का विरोध किया.

शुक्रवार को सुनवाई के दौरान राजस्थान सरकार की ओर से Attorney General R Venkataramani और Additional advocate General Manish Singhvi पेश हुए.

Attorney General ने राजस्थान सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने दोषियों को बरी करते हुए कई महत्वूपर्ण तथ्यों को नजरअंदाज किया है.

Attorney General ने कहा कि राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले पर राज्य सरकार की ओर से भी अपील के लिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी है.

यह जानकारी दिए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ितो की ओर से दायर अपील के साथ राजस्थान सरकार की अपील को भी आगामी सुनवाई में शामिल करते 17 मई की तारीख तय की.

क्या कहा याचिका में

याचिका दायर करने वालो में सीरियल बम ब्लास्ट में मृतक व्यक्ति की पत्नी राजेश्वरी देवी और एक मृतक के पुत्र अभिनव तिवारी भी शामिल है. सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा गया है कि राजस्थान हाईकोर्ट ने मामले के दोषियों को बरी कर गलती की है.

शुक्रवार को भी अधिवक्ताओ ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को लेकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कानून की गलत व्याख्या करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने दोषी अभियुक्तों को बरी किया है.

अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करने और ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखने का अनुरोध किया.

पीड़ित परिजनों की ओर से वरिष्ठ एडवोकेट मुकुल रोहतगी, मनिंदर सिंह, शिव मंगल शर्मा और आदित्य जैन ने पैरवी की.

राज्य सरकार की ओर से अटॉनी जनरल आर वेंकंटरमनी और अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष सिंघवी ने पैरवी की. मामले के मुल्जिमों की ओर से सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा और रिबैका जोन ने पैरवी की.

दोषी बरी, पुलिस को फटकार

राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बेंच ने 29 मार्च को सुनाए फैसले में दोषियों के खिलाफ ट्रायल कोर्ट द्वारा भेजे गये डैथ रेफरेंस को खारिज करते हुए मौत की सजा पाए चारों दोषियों को बरी कर दिया था.

ट्रायल की ओर से मौत की सजा की पुष्टि के लिए हाईकोर्ट में भेजे गए डैथ रेफरेंस सहित दोषियों की ओर से पेश 28 अपीलों पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने चारों को बरी कर दिया था और दोषी सलमान का मामला किशोर बोर्ड भेजने के आदेश दिए थे.

पीठ ने फैसला सुनाते हुए का कि इस मामले के जांच अधिकारी को लीगल जानकारी नहीं है. अदातल ने जांच अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए भी कहा है.

8 ब्लास्ट में 71 की मौत

गौरतलब है कि राजस्थान की राजधानी जयपुर में 13 मई 2008 में हुए सीरियल ब्लास्ट 9 बम रखे थे, इसमें 8 ब्लास्ट हुए थे, जबकि एक बम को समय रहते डिफ्यूज कर दिया गया था.इस सीरियल ब्लास्ट में 71 लोग मारे गए थे, जबकि 185 घायल हुए थे.

राजस्थान पुलिस ने इस मामले में कुल 8 मुकदमे दर्ज किए थे. जयपुर के कोतवाली पुलिस थाने में 4 और माणकचौक थाने में 4 मामले दर्ज करते हुए कुल 13 लोगों को पुलिस ने आरोपी बनाया था. लंबी कानूनी प्रक्रिया में अभियोजन की ओर से 1293 गवाहों के बयान दर्ज कराए गए थे.

जयपुर की विशेष अदालत ने इस मामले में 20 मई 2019 को फैसला सुनाते हुए चारों दोषियों सैफुर्रहमान अंसारी, मो. सैफ उर्फ कैरीऑन, मो. सरवर आजमी और मो. सलमान को फांसी की सजा सुनाई थी.