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IT Rules: केन्द्र सरकार के Fact Check Unit पर रोक लगाने को लेकर कुणाल कामरा ने दी याचिका, जानें Bombay HC ने क्या की कार्रवाई?

जस्टिस चंदूरकर ने कुणाल कामरा की अधिसूचना पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए अपना फैसला देते हुए केन्द्र को फैक्ट चेक से जुड़ी अधिसूचना जारी करने के निर्देश दिए हैं.

Written By My Lord Team | Updated : March 12, 2024 1:53 PM IST

Fact Check Units: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कॉमेडियन कुणाल कामरा की याचिका पर सुनवाई की. कॉमेडियन कुणाल कामरा (Comedian Kunal Kamra) ने आईटी एक्ट के संशोधित नियमों में फैक्ट चेक यूनिट पर रोक लगाने की मांग को लेकर याचिका दायर की है. वहीं, कोर्ट ने कहा कि फैक्ट-चेक यूनिट से किसी तरह से चिंतिंत होने की आवश्यकता नहीं है. कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक व्यंग्यों, मतों और सटायर को केन्द्र के व्यावसाय से जोड़ कर देखने से इंकार कर किया. केन्द्र को फैक्ट चेक यूनिट से जुड़ी अधिसूचना जारी करने की अनुमति मिल गई है. आइये जानते है कि इस मामले में क्या-कुछ हुआ.

जस्टिस चंदूरकर दिया अपना मत

जस्टिस चंदूरकर ने मामले को सुना. जस्टिस चंदूरकर ने फैक्ट चेक यूनिट के प्रावधानों पर विचार किया. उन्होंने पाया कि यह संस्था किसी भी पोस्ट को पल भर में हटाने की बात नहीं कहती है. इसमें होने वाली सभी कार्रवाई आईटी रूल्स के नियमों के अधीन होगी. 

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डिवीजन बेंच ने भेजा था मामला

पहले, दो जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई की. ये जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिलस नीला गोखले हैं. जस्टिस पटेल ने इस नियम को असंवैधानिक बताया है. जस्टिस ने इस नियम में सेंसरशिप होने की बात कहीं. वहीं, जस्टिस गोखले ने इस नियम से किसी तरह की पाबंदी होने की बात को खारिज किया है. दोनो जजों के बीच एकमत होने में असफल रहने पर, इस मामले को जस्टिस चंदूरकर की बेंच के पास सुनवाई के लिए भेजा. 

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फैसले के अनुसार सरकार करेगी काम

केन्द्र ने पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि वे इस मामले पर फैसला आने के बाद ही वे फैक्ट चेक यूनिट को लेकर आगे की कार्रवाई करेगी.

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फैक्ट चेक यूनिट की लिस्ट की सूचना देगी केन्द्र

6 अप्रैल, 2023 के दिन भारत सरकार ने आईटी रूल्स में संशोधन किया. सोशल मीडिया इंटरमेडियरी को निर्देश दिए थे कि वे सरकार के जुड़े काम के संबंध में फर्जी, झूठी और भ्रामक जानकारी को शेयर करने पर रोक लगाए. 

सरकार फैक्ट चेक यूनिट पर सरकार ने कहा. ये जांच केवल वो फैक्ट चेक यूनिट करेगी, जिसके नाम की मंजूरी केन्द्र सरकार जारी करेगी. वहीं, फैक्ट चेक यूनिट से जुड़े नियमों से पहले ही सरकार ने इस तरह की खबरों पर रोक लगाने के लिए सोशल मीडिया इंटरमेडियरी को हिदायतें दी है. 

क्या है मामला?

नए आईटी रूल्स में झूठी, भ्रामक खबरों पर रोक लगाने फैक्ट चेक यूनिट बनाने की बात है. इस यूनिट के बनने से मीडिया सेंसरशिप की आशंकाएं पुन: जीवित हो गई है. इसे ही कुणाल कामरा ने चुनौती दिया है. कॉमेडियन कुणाल कामरा ने कहा है कि व्यंंग्य का फैक्ट चेक नहीं किया जा सकता है. अगर केंद्र सरकार व्यंग्य की जांच करें, तो उसे भ्रामक बता कर सेंसर कर सकती है, जिससे राजनीतिक व्यंग्य का उद्देश्य पूरी तरह से असफल रहेगी. 

जस्टिस चंदूरकर ने अपना फैसला डिवीजन बेंच के पास भेज दिया है. अब इस मामले में डिवीजन बेंच को फैसला लेना है. वहीं, जस्टिस चंदूरकर के फैसले के बाद से केन्द्र को इस नियम पर Notification जारी करने की अनुमति मिल गई हैं. 

सोशल मीडिया इंटरमेडियरी: जैसे फैसबुक, ट्वीटर आदि. ये वैसे साइटस हैं, जो लोगों को अपने प्लेटफार्म पे काम करने की छूट देते हैं.