दुष्कर्म मामले में पीड़िता के मुकर जाने पर उसको भुगतान की गई राशि की वसूली करना उचित-Allahabad High Court
नई दिल्ली: दुष्कर्म के मामलो में पीड़िता द्वारा अपने बयानों से मुकर जाने या पक्षद्रोही होने के उन्हे सरकार द्वारा पीड़ित के रूप मेंं भुगतान की गई राशि की वसूल को Allahabad High Court ने उचित ठहराया है.
दुष्कर्म और पॉक्सों से जुड़े मामले में Allahabad High Court आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता आरोपी के अधिवक्ता द्वारा यह दलीले पेश की गई कि मामले की पीड़िता और उसके भाई ने याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोपो से इंकार किया है.
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बयानो से पक्षद्रोही
याचिका में कहा गया कि पीड़िता ने FIR और CrPC 164 में दर्ज कराए गए बयानों से पूर्णतया इंकार किया है, ऐसे में याचिकाकर्ता को अपराधी नही माना जा सकता और वह जमानत का अधिकार रखता है.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने यह भी तर्क दिया कि इस मामले में पीड़िता के भाई जो कि इस मामले में शिकायतकर्ता है ने भी अपना बयान बदल दिया है और उसके द्वारा कहा गया है कि शिकायत किसी अन्य द्वारा लिखी गयी है और वह हिंदी लिखना नहीं जानता है.
वही याचिका का विरोध करते हुए शिकायतकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि सीआरपीसी 164 के बयान अभी भी बरकररार है इसलिए जमानत नही दी जानी चाहिए
जमानत देना उचित
दोनो पक्षो की दलीले सुनने के बाद अदालत ने यह माना कि पीड़िता ने जिरह के दौरान अदालत के समक्ष याचिकाकर्ता आरोपी की दुष्कर्मी के रूप में पहचान नहीं की है.
यहां तक कि इस मामले में आरोपी के भाई जो कि शिकायतकर्ता भी है ने अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया है.
इन आधारों पर अदालत ने दुष्कर्म के मामले में आरोपी याचिकाकर्ता को जमानत देना मंजूर किया.
पक्षद्रोही होने पर हो वसूली
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म और पॉक्सो के आरोपी याचिकाकर्ता की जमानत पर निर्णय लेने के साथ ही मामले में पीड़िता और शिकायतकर्ता के पक्षद्रोही होने को गंभीर माना.
अदातल ने कहा कि कि यदि पीड़ित पक्षद्रोही हो गया है और अभियोजन पक्ष के मामले का बिल्कुल भी समर्थन नहीं करता है, तो पीड़ित को भुगतान की गई राशि की वसूली करना उचित है.
अदालत ने कहा कि पीड़िता वह व्यक्ति है जो अदालत के समक्ष आती है और मुकदमे के दौरान यदि वह बलात्कार के आरोप से इनकार करती है और पक्षद्रोही हो जाती है, तो राज्य सरकार द्वारा प्रदान की गई मुआवजे की राशि को उसके पास रखने का कोई औचित्य नहीं है.
अदालत ने कहा कि सरकारी खजाने पर इस तरह बोझ नहीं डाला जा सकता है क्योकि इस तरह कानूनों के दुरुपयोग की पूरी संभावना है.इसलिए, पीड़ित या परिवार के सदस्य को दी गई मुआवजे की राशि संबंधित अधिकारियों द्वारा वसूली के लिए उत्तरदायी है.