International Women’s Day: मेटरनिटी लीव कानून कैसे बना रहा कामकाजी महिलाओं को सशक्त, जानिए कैसे लगा रहा है कंपनियों की मनमानी पर रोक
International Women's Day: कामकाजी महिलाएं अपने घर और परिवार को सक्षम बना रही है. घर संभालने से लेकर ऑफिस तक में, हर क्षेत्र में अपनी भागीदारी दे रही है. महिलाओं की अपनी शारीरिक बनावट के आधार पर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, ऐसे में अपनी मांगों को लेकर वे भी मुखर रही हैं. विश्व के हर समाज में महिलाओं ने कानूनी तौर पर समानता के लिए भी आवाज उठाई है. आइये जानते है कि भारत में महिलाओं के लिए बने मातृत्व छुट्टियों के बारे में जो महिलाओं को अपने कार्य क्षेत्र में नौकरी को बरकरार रखने में मदद करती हैं.
मातृत्व के लिए छुट्टियां, दूसरे शब्दों में मैटरिनिटी लीव के बारे में. भारत में क्या कानून हैं? महिला कर्मचारियों के प्रति कंपनी के क्या दायित्व है? मैटरनिटी लीव महिलाओं को क्या अधिकार मिले हैं? वे कब से कब तक इन लीव का लाभ उठा सकती हैं. आइये जानते हैं 8 मार्च के दिन, विश्व महिला दिवस के खास अवसर पर…..
मातृत्व अवकाश क्या है?
मातृत्व अवकाश आम प्रचलन में मैटरनिटी लीव कहते हैं. ये लीव महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान दी जाती हैं. बच्चों के जन्म और शुरूआती दिनों की देखभाल के लिए दी जाती हैं.
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किसे मिलता मैटरनिटी लीव?
महिलाओं को नहीं, वैसी सभी महिलाएं, जो गर्भवती हैं. मैटरनिटी लीव की पात्रता रखती हैं. साथ ही वे महिलाएं, जिन्होंने तीन 3 महीने से कम उम्र के बच्चे को गोद लिया है. वे भी 12 सप्ताह (84 दिन) की छुट्टी की पात्र होती हैं.
वेतन के मुद्दे पर क्या है खास?
मैटरनिटी लीव में महिलाओं वेतन के साथ अवकाश (Being Paid During Leave) मिलता है. इस लीव के दौरान महिलाओं को पूरी सैलरी मिलती हैं.
मातृत्व अवकाश अधिनियम में क्या बदलाव हुए?
मातृत्व अवकाश के संशोधित अधिनियम, 2017 में इन बिंदुओं में बेहतर तरीके से समझा जा सकता है…
मातृत्व लाभ संशोधन अधिनियम, 2017 के अनुसार
- मौजूदा कर्मचारी होने के साथ-साथ पिछले साल 80 दिन से ज्यादा काम करने वाली महिलाएं, कंपनी द्वारा इस लाभ को पाने की पात्रता रखती हैं.
- अवकाश के दौरान भुगतान दैनिक मजदूरी (Daily Wages) के आधार पर होता है.
- इस लीव को प्रसव की अनुमानित डेट से आठ सप्ताह (56 दिन) पहले ली जा सकती हैं.
- पहली और दूसरी गर्भावस्था के दौरान महिलाएं 26 सप्ताह (182 दिनों ) के लिए ये लीव ले सकती हैं.
- महिलाएं ये लीव दो बार ले सकती हैं. तीसरी बार में यह लीव सिर्फ 12 सप्ताह (84 दिन) के लिए ही मिलेगी. तीसरी बार में प्रसव होने की तिथि से 6 सप्ताह पहले या 6 सप्ताह बाद में ले सकती हैं.
कंपनियों पर होगी कार्रवाई
इस लीव से मना करने पर महिलाएं कोर्ट का सहारा ले सकती हैं. कंपनियां इन मामलों में अपनी मनमानी नहीं चला सकती हैं. उन्हें महिला कर्मचारियों के प्रति अपनी संवेदना जाहिर करने के दायित्व का निर्वहन करना होगा.
मैटरनिटी लीव से पहले सिक लीव लेने पर क्या?
महिलाएं सिक लीव ले सकती हैं. इसमें आपको समस्या को बताना पड़ेगा, जो मातृत्व धारण की अवस्था से पहले की हो. इस एक महीने की सिक लीव में भी महिलाएं पूरा वेतन पाने की हकदार होती हैं.