भारत अमेरिका नही, यहां हथियार रखने की प्रवृति परेशान करने वाली, सुप्रीम कोर्ट ने लिया प्रंसज्ञान
नई दिल्ली: देश में बढते गन कल्चर को लेकर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्व प्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने देश में हथियारों की बढती प्रवृति और गन कल्चर को नियंत्रित करने के लिए स्वप्रेरणा प्रसंज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले में सुनवाई करेगा. क्योंकि हमार देश का संविधान किसी नागरिक को हथियार रखने का अधिकार नहीं देता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अमेरिका के विपरित हमारे देश में गन कल्चर का प्रावधान नहीं है और समय रहते देश में बिना लाइसेंस वाले हथियारों को प्रतिबंधित करने के लिए सख्त कदम उठाए जाने आवश्यक है.
जमानत याचिका पर सुनवाई
जस्टिस के एम जोसेफ और जटिस्स बी वी नागरत्ना की पीठ एक 73 वर्षिय हत्या के आरोपी की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था. सुनवाई के दौरान बिना लाइसेंस के हथियारों के बढते चलन का जिक्र आने पर पीठ ने उत्तरप्रदेश सरकार से इस मामले में जवाब मांगा.
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सुनवाई के दौरान जहां याचिकाकर्ता की ओर से अदालत के समक्ष फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की रिपोर्ट का हवाला दिया गया जिसके अनुसार, जो गोली चलाई गई थी, वह उसके पास से बरामद बंदूक से मेल नहीं खाती थी.
जिसके जवाब में अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि इस मामले में बिना लाइसेंस के हथियार का प्रयोग किया गया है. इससे अपराध करने के बाद आरोपी आसानी बचने का रास्ता ढूंढ लेते है.
पीठ ने बिना लाइसेंस के हथियारों के बढते प्रयोग पर चिंता जताते हुए इस मामले में स्व प्रेरणा प्रसंज्ञान लेते हुए उत्तरप्रदेश सरकार को आदेश दिए है कि वह बिना लाइसेंस के हथियारों के कब्जे और उपयोग से जुड़े मुकदमों की संख्या और उन मुकदमों में की गई कार्रवाई का ब्यौरा पेश करे.
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है.
क्या है मामला
मामले के अनुसार 73 वर्षिय याचिकाकर्ता पर आरोप है कि आपसी रंजीश के चलते उसने अपने साथियों के साथ मिलकर शिकायतकर्ता और सात अन्य पर कथित रूप से अंधाधुंध फायरिंग की थी. इस फायरिंग के दौरान मृतक की हत्या की गई.
याचिकाकर्ता आरोपी ने अपनी उम्र और स्वास्थ्य के आधार पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष जमानत याचिका दायर करते हुए मानवीय आधार पर जमानत का अनुरोध किया था.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए उम्र और स्वास्थ्य के तर्क को भी मानने से इंकार करते हुए जमानत खारिज कर दी थी.
हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए चुनौती दी. याचिकाकर्ता ने अपने पक्ष में तर्क दिए कि इस मामले में एक सह-आरोपी को पहले ही नियमित जमानत दी जा चुकी है और वह 5 साल से अधिक समय से हिरासत में हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल जमानत याचिका पर सुनवाई पेडिंग रखते हुए उत्तरप्रदेश राज्य से बिना लाईसेंस हथियारों को लेकर जानकारी मांगी है.
क्या है अमेरिका में गन रखने का प्रावधान
अमेरिका में गन कल्चर का इतिहास उतना ही पुराना है जितना पुराना अमेरिका का संविधान है. वर्ष 1791 में अमेरिका के संविधान में दूसरा संशोधन लागू करते हुए अमेरिकी नागरिकों को हथियार रखने का हक दिया गया था.
अमेरिका में बंदूक खरीदने की न्यूनतम आयु सीमा द गन कंट्रोल एक्ट 1968 (GCA) के तहत निर्धारत है. इस कानून के अनुसार राइफल या कोई भी छोटा हथियार खरीदने के लिए कम से कम 18 साल होनी चाहिए, दूसरे हथियार मसलन हैंडगन खरीदने के लिए 21 साल की उम्र होनी चाहिए.
अमेरिका का संविधान अपने नागरिकों को बंदूक या गन रखने का पूरा अधिकार देता है, लेकिन हमारे देश में हथियार रखने का अधिकार नहीं है बल्कि इसके लिए लाइसेंस की जरूरत होती है.
क्या है 2019 की रिपोर्ट
वर्ष 2019 में अमेरिका में गन कल्चर को लेकर एक रिपोर्ट पेश की गई थी. इस रिपोर्ट के अनुसार पूरे अमेरिका में 63 हजार से ज्यादा लाइसेंस गन डीलर थे, जिन्होंने अमेरिकी नागरिकों को 80 हजार करोड़ रूपये से ज्यादा की बंदूके बेची थी.यह राशि हमारे देश के स्वास्थ्य बजट से कई गुणा ज्यादा थी.
एक और रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में गन से औसतन 100 लोग रोज मारे जाते है. पिछले 50 वर्षों में अकेले अमेरिका में 14 लाख लोग बंदूक से होने वाली हिंसा में मारे जा चुके हैं. वर्ष 2013 से 2018 के बीच अमेरिका में हथियारो से स्कूल और सार्वजनिक स्थानों पर कुल 291 वीभत्स दुर्घटनाएं हुई है.
अमेरिका में बंदूक की संस्कृति उस जमाने से है, जब वहां ब्रिटिश सरकार का राज हुआ करता था, तब अमेरिका मे कोई सुरक्षा एजेंसी नहीं थी, लोगों को अपनी और परिवार की सुरक्षा खुद करनी होती थी. इसलिए लोगों को हथियार रखने की आजादी मिली और यह कल्चर लगातार जारी रहा.
अमेरिका में आए दिन स्कूलों और सार्वजनिक स्थानों पर बढती अपराधिक घटनाओं के चलते अब गन कल्चर के खिलाफ आवाज तेज होती जा रही है.