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सेना के अधिकारियों पर हमले के लिए उकसाना एक गंभीर अपराध, जाने IPC में सजा का प्रावधान

कहते हैं अपराधी अपराध करने से पहले ये नहीं देखते कि सामने कौन है वो देश की सेनी की को भी नहीं छोड़ते. इन्ही उपद्रवियों रोकने के लिए देश में कड़े कानून बनाए गए हैं .

Written By My Lord Team | Published : January 17, 2023 5:17 AM IST

नई दिल्ली : हमारे देश की जल, थल और नभ तीनों ही सेना पूरे देश की रक्षा करने के लिए शपथ लेती हैं. कुछ उपद्रवी इनके साथ भी खिलवाड़ करने की कोशिश करते हैं. उन्हें उनके कर्तव्यों से भटकाने की कोशिश करते हैं. इन्ही अपराधों को रोकने के लिए देश में कई कड़े कानून बनाए गए हैं. भारतीय दंड संहिता ( Indian Penal Code)1860 की धारा 133 और 134 में इस तरह के कई अपराधों और उसके तहत मिलने वाली सजा के बारे में बताया गया है. आईए जानते हैं क्या है धारा 133 और 134 में.

IPC की धारा 133

इस धारा के अनुसार सैनिक, नौसैनिक या वायु सेना द्वारा अपने वरिष्ठ अफर पर जब कि वह ऑफिसर अपने पद- निष्पादन में हो, हमले का दुष्प्रेरण यानि अगर कोई भारत सरकार की सेना (Army), चाहे वो [नौसेना (Navy) हो या वायुसेना ( Air Force)] के किसी भी ऑफिसर, सैनिक, [नौसेना या वायुसेना] को अपने से उच्च अधिकारियों के खिलाफ कोई भी अपराध करने के लिए जैसे- उनकी हत्या करने के लिए या कोई नुकसान पहुंचाने के लिए उकसाता है, भड़काता है या समझाता है. जबकि वो ऑफिसर जिसके खिलाफ भड़काया जा रहा वो तीनो सेना में से किसी में भी कार्यरत हो यानि की अपने पोस्ट पर हो. तो ऐसे में पकड़े जाने पर उकसाने वाले को सजा मिलती है.

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सजा के प्रावधान

इसके अनुसार अगर कोई इस धारा में बताए गए अपराधों के लिए दोषी पाया जाता है तो ऐसा करने वाले को एक अवधि के लिए कारावास की सजा (Sentence of imprisonment) हो सकती है. जिसे तीन साल बढ़ाया भी जा सकता है. साथ ही जुर्माना (Fine) भी लगाया जा सकता है या फिर दोनों ही प्रकार से उसे दंडित किया जाएगा.

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इस तरह के अपराध संज्ञेय अपराध (Cognizable offence) में आते हैं. इसमें किसी तरह का कोई समझौता ( Not negotiable) भी नहीं होता. इस तरह के मामले किसी भी प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट(First class magistrate) द्वारा विचारणीय (Considerable) है.

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प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट (First class magistrate)

प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट किसी भी मामले को प्रारंभिक रूप से सुनते हैं. कोई भी मामला पहले प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के पास ही जाता है. यह कोर्ट भारतीय न्यायपालिका का अत्यंत अहम अंग है. अगर इनकी कोर्ट में किसी आरोपी पर दोष सिद्ध होता है तो प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट आरोपी को उस अपराध के लिए अधिकतम 3 वर्ष तक के कारावास की सजा सुना सकता है और 10 हजार तक का जुर्माना लगा सकता है. कोई भी प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट 3 वर्ष से अधिक का कारावास और 10 हजार से ज्यादा का जुर्माना नहीं लगा सकता.

IPC की धारा 134

धारा 133 में जहां बताए गए अपराधों के लिए उकसाने पर सजा के प्रावधान है वहीं धारा 134 में अगर उकसाने पर अपराध हो जाए तो क्या सजा मिलती है इसको लेकर है.

इस धारा के अनुसार अगर कोई भारत सरकार की सेना (Army), चाहे वो [नौसेना (Navy) हो या वायुसेना ( Air Force)] के किसी भी ऑफिसर, सैनिक, [नौसेना या वायुसेना] को अपने से उच्च अधिकारियों के खिलाफ कोई भी अपराध करने के लिए जैसे उनकी हत्या करने के लिए या कोई नुकसान पहुंचाने के लिए उकसाता है, भड़काता है या समझाता है. जबकि वो ऑफिसर जिसके खिलाफ भड़काया जा रहा वो तीनो सेना में से किसी में भी कार्यरत हो यानि की अपने पोस्ट पर हो,भड़काने के बाद अपराध को अंजाम दे देता है तो ऐसे में भड़काने वाला सजा का पात्र होगा.

सजा का प्रावधान

ऐसे मामलों में पकड़े जाने पर इस धारा के अनुसार ऐसा करने वाले को एक अवधि के लिए कारावास की सजा (Sentence of imprisonment) हो सकती है. जिसे सात साल बढ़ाया भी जा सकता है. साथ ही जुर्माना (Fine) भी लगाया जा सकता है या फिर दोनों ही प्रकार से उसे दंडित किया जाएगा.