पत्नी के साथ किराए की संपत्ति या बंधुआ मजदूर जैसा व्यवहार नहीं करना चाहिए, छत्तीसगढ़ HC ने और क्या-क्या कहा
Divorce Case: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने हाल ही में कहा कि वैवाहिक घर में पत्नी के साथ किराए की संपत्ति या बंधुआ मजदूर जैसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए. आगे कहा कि अगर पति बिना किसी पर्याप्त कारण के पत्नी को अलग रखना चाहता है और पत्नी इसका विरोध कर रही है तो ये क्रूरता नहीं है. जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस दीपक कुमार तिवारी की बेंट ने ये भी कहा कि पत्नी की अपने पति से उसे अपने साथ रखने की स्वाभाविक और उचित मांग है. इसके साथ ही हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13 के तहत तलाक की अनुमति देने के फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ पत्नी की अपील स्वीकार की.
क्या है पूरा मामला?
मई 2008 में दोनों ने शादी की. जुलाई 2009 में पत्नी ने एक बच्ची को जन्म दिया. केस के मुताबिक, पति चाहता था कि पत्नी उसके साथ अपने गांव बरदुली में रहे. लेकिन पत्नी ने वहां रहने से मना कर दिया. पति ने क्रूरता के आधार पर तलाक मांगा और फैमिली कोर्ट ने तलाक की अनुमति दे दी. इसके खिलाफ पत्नी ने हाईकोर्ट का रुख किया.
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दूसरी ओर, पत्नी का कहना है कि वो हमेशा पति के साथ रहने को तैयार थी, लेकिन वो उसे कभी भी अपने साथ नहीं रखना चाहता था और चाहता था कि वो ग्राम बरदुली में अलग रहे. पत्नी का कहना था कि वो उसके गांव में रहने की मांग का विरोध करती थी क्योंकि उसका पति ग्रामीण पृष्ठभूमि से था और वह शुरू से ही खुद को उसके परिवार से दूर रखना चाहती थी और गांव में रहने की इच्छुक नहीं थी.
सुनवाई के दौरान पति ने कहा कि उसकी पत्नी को झूठे आरोप लगाने की आदत है और उसने आईपीसी की धारा 498-A के तहत अपराध के लिए पति के खिलाफ पुलिस शिकायत भी की थी.
पति ने आगे कहा कि जब भी वो अपनी पत्नी को वापस बुलाता तो वो हमेशा आत्महत्या करने की धमकी दी और यहां तक कि सामाजिक बैठक में भी उसने शर्त रखी कि अगर कोई उसके जीवन की जिम्मेदारी लेगा, तभी वो वापस आएगी.
हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं, सबूतों को देखा और शुरू से ही पति ने पत्नी के उसे अपने साथ रखने के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया. पति ने हमेशा उसके साथ संपत्ति की तरह व्यवहार किया और सोचा कि वो ऐसी जगह पर रहने के लिए बाध्य है जहां वह उसे रखना चाहता है. हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले पर कमी पाई. कहा कि वैवाहिक घर में,पत्नी पर शर्त लगाकर उसे साथ बंधुआ मजदूर जैसा व्यवहार न किया जाए. वैवाहिक संबंधों के दौरान, एक-दूसरे और कंपनी के प्रति पारस्परिक सम्मान और आदर आवश्यक है.
अदालत ने साफ कहा कि अगर पत्नी पति को किसी दूसरे स्थान पर रहने के लिए कहे तो ये क्रूरता नहीं है. इसके साथ ही हाईकोर्ट फैमिली कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया.