जल्दबाजी में हुई Love Marriages में बढ़ रहे हैं Divorce के मामले, Allahabad High Court की अहम टिप्पणी
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) तलाक से जुड़े एक मामले की सुन रहा था. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने लव मैरिज (Love Marriage) को लेकर अपने विचार जाहिर किए. कोर्ट ने लव मैरिज के मामलों में लोग अक्सर जल्दबाजी दिखाते हैं. बाद में शादीशुदा जिंदगी (Married Life) में झगड़े की घटनाएं सामने आती है. इसमें किसी एक पक्ष को गलत नहीं कहा जा सकता है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान हिंदू मैरिज एक्ट (Hindu Marriage Act) में संशोधन को लेकर इस फैसले की कॉपी रजिस्ट्रार को भेजने के आदेश दिए हैं.
तलाक से जुड़ा है मामला
जस्टिस विवेक कुमार बिरला और डोनाडी रमेश की डिवीजन बेंच एक तलाक के मामले की सुनवाई कर रही थी.
बेंच ने कहा,
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“लव मैरिज जैसी आसानी से होने वाली शादियां भी पति-पत्नी के बीच वैवाहिक विवादों का कारण बन रही हैं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि झगड़ो के लिए कौन जिम्मेदार है. दोनों पक्ष ऐसे रिश्ते को जारी रखने के इच्छुक नहीं हैं या कम से कम एक पक्ष अलग रहना शुरू कर देता है. ये सच्चाई ऐसे विवादों से निपटने के दौरान हमारे अनुभव से सामने आ रहा है.”
Hindu Marriage Act में हो संशोधन
सुनवाई के दौरान, बेंच ने समसामयिक परिस्थितियों के अनुरूप हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक देने के आधार में संशोधन होने का जिक्र किया.
बेंच ने आगे कहा,
“बदलते समय और हमारे अनुभव को देखते हुए, अदालतें समाज के इन असल हालातों पर मूकदर्शक नहीं बनी रह सकती हैं. अदालतें न्याय की चाह रखने वाले वादी के प्रति जवाबदेह हैं. यह कहने की जरूरत नहीं है कि कानून को समय के साथ तालमेल बिठाना चाहिए.”
SC ने भी कहीं है ये बातें
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र किया. सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र को हिन्दू मैरिज एक्ट में संशोधन करने की बात पर विचार करने के निर्देश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने ये बात नवीन कोहली बनाम नीलू कोहली (2006) के मामले में कहीं.
बेंच ने कहा,
“18 वर्षों के बाद भी, इस बारे में कुछ नहीं किया गया है…”
बेंच ने विवाद पर आगे कहा. कई केसेस में दोनों पार्टी के बीच वैवाहिक जीवन केवल नाम के लिए है, जबकि व्यवहारिक तौर पर वैवाहिक जीवन खत्म हो चुका है. भले ही एक पक्ष विवाह को बरकरार रखने का दावा करें.
कानून मंत्रालय को भेजें फैसले की कॉपी
बेंच ने हाईकोर्ट की रजिस्ट्री को निर्देश दिए. अपने आदेश में पीठ ने रजिस्ट्रार को फैसले की एक प्रति सचिव, कानून और न्याय मंत्रालय, कानूनी मामलों के विभाग, भारत सरकार और विधि आयोग को भेजने का आदेश दिया, ताकि नवीन कोहली केस में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर कार्रवाई की जा सकें.
क्या है मामला?
इलाहाबाद हाईकोर्ट में पति ने याचिका दी. याचिका में तलाक की मांग की गई थी. मामला ये है कि दोनों पक्षों, पति और पत्नी की दूसरी शादी है. साल 2007 में शादी हुई. दूसरी पत्नी से भी 2015 में तलाक की मांग की.