3 दिन में केन्द्र सरकार 44 जजों के नाम पर करेगी फैसला, सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने दिया जवाब
नई दिल्ली: देश की अदालतों में जजों की नियुक्ति के मामले में शुक्रवार को केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वो उसके पास पेंडिंग 44 नामों पर 3 दिन के भीतर निर्णय लेकर इसकी पुष्टि करेगी.
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त किया है कि वह न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाएगी.
जस्टिस एस के कौल और जस्टिस ए एस ओका की पीठ ने द एडवोकेट्स एसोसिएशन बेंगलुरु की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एस के कौल ने कहा कि मैं जानता हूं कि सिस्टम कैसे काम करता था और अब भी वैसे ही काम कर रहा है. मैं आगे इस पर और कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता.
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केन्द्र सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा भेजी गयी सिफारियों पर कार्य किया जा रहा है. और कॉलेजियम द्वारा भेजी गयी 44 सिफारिशों के मामले में सप्ताहांत तक स्थिति साफ हो जाएगी.
बार बार वापस भेजे जा रहे नाम
पीठ ने कॉलेजियम द्वारा भेजे गए नामों को सरकार द्वारा वापस लौटने पर भी चिंता जताई है. जस्टिस एस के कौल ने टिप्पणी करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा 22 नाम वापस भेजे जा चुके हैं जिनमें से कुछ नाम दोबारा भेजे गये है तो कुछ नाम ऐसे भी है जिन्हे तीसरी बार वापस भेजा गया है.
पीठ ने कहा कि इस प्रकार से सरकार द्वारा सिफारिशों को मंजूर करने में की जा रही देरी से कई वरिष्ठ अधिवक्ता अपने नाम देने से इंकार कर रहे है.
जस्टिस ओका ने कहा कि हमारे द्वारा प्रस्तावित किए गए नाम एक बार वेबसाइट पर डाले जाते है और फिर सरकार उन्हे मंजूर नहीं करती है जिससे सभी प्रभावित होते है.
जस्टिस कौल ने कहा कि वे एक अधिवक्ता को जानते है जिन्होने केन्द्र द्वारा नाम में देरी करने पर अपनी सहमति वापस ले ली. तो वही एक दूसरे अधिवक्ता ने इसलिए नाम वापस ले लिया क्योंकि वह कॉलेजियम के पास पेंडिंग था.
जस्टिस कौल ने कहा कि उनका आशय केवल यह है कि हम ऐसा वातावरण तैयार कर रहे है जहां पर वरिष्ठ लोग अपनी सहमति देने से बच रहे है.
सरकार अगर ऐसा सोचती है
पीठ ने कहा कि सरकार इस डर से कोई कॉलेजियम की सिफारिशों पर फैसला लेने से देरी करती है कि अगर सरकार द्वारा फाइल वापस भेज दी जाती है तो भी कॉलेजियम सिफारिश को दोहराएगा.
पीठ ने कहा कि केंद्र द्वारा दोहराए गए नामों को वापस भेजना चिंता का विषय है. सरकार को आशंका हो सकती है, लेकिन हमें इस डर से कुछ टिप्पणियां भेजे बिना नामों को रोक कर नहीं रखा जा सकता है कि हम दोहराएंगे. एक बार जब हम दोहराते हैं तो हमें उन्हे मंजूरी देने में कोई समस्या नहीं दिखती है.
पीठ ने कहा कि राजनीतिक विचारों के बावजूद जज अपना फैसला करते है. पीठ ने जस्टिस कृष्णा अय्यर का उदाहरण देते हुए कहा कि वे केरल में मंत्री रहने के दौरान वामपंथी विचारों से जुड़े रहे. इसके बावजूद उनके फैसलों के लिए उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता.
जस्टिस कौल ने कहा कि जज कहां से आए हैं ये मायने नहीं रखा, लेकिन जब हम न्यायाधीश बनते हैं तो राजनीतिक विचारों के बावजूद हम अपना कर्तव्य निभाते हैं.
कौन है तीसरा पक्ष
सुनवाई के दौरान जस्टिस ए एस ओका ने कॉलेजियम द्वारा सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए दिसंबर माह में की गई सिफारिशों पर देरी करने को लेकर सवाल किया. जिस पर एजी ने कहा कि इस मामले पर उनके पास कुछ इनपुट है और उन्होने सबके सामने इस पर चर्चा करने से इनकार किया.
पीठ ने ट्रांसफर के लिए भेजी गयी सिफारिशों पर भी केंद्र की चुप्पी पर नाराजगी जताते हुए कहा कि क्या इस मामले को कोई तीसरा पक्ष भी प्रभावित कर रहा हैं.