Improper waste management: एनजीटी ने बिहार सरकार पर लगाया 4,000 करोड़ का जुर्माना
नई दिल्ली: बिहार में ठोस और तरल कचरे के waste management में विफल रहने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने बिहार सरकार पर 4000 करोड़ का जुर्माना लगाया है.
NGT अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल, सदस्य सुधीर अग्रवाल और अरुण कुमार त्यागी के साथ-साथ विशेषज्ञ सदस्य डॉ ए सेंथिल वेल और डॉ अफरोज अहमद के कोरम ने पाया कि कचरे के उत्पादन और उसके प्रसंस्करण में बहुत ज्यादा अंतराल था जो कि पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य की हानि के लिए जिम्मेदार है.
NGT की 5 सदस्य पीठ ने अपने आदेश में कहाा कि यह देखा गया है कि पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के नुकसान के लिए कचरे के उत्पादन और प्रसंस्करण में अभी भी अंतराल हैं, जिन्हें बाध्यकारी समय-सीमा के साथ-साथ आम जनता के लिए एक सुशासन के लिए आवश्यक था कि इसे तत्काल किया जाता.
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पीठ ने कहा कि स्वच्छ पर्यावरण नागरिको का अधिकार है और इस मामले में सरकार विफल रही है.
एनजीटी ने सुप्रीम कोर्ट के अल्मित्रा एच पटेल बनाम भारत सरकार, पर्यावरण सुरक्षा बनाम भारत संघ के फैसलो के निर्देशों के अनुसार अपने आदेश में कहा कि ट्रिब्यूनल को ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन मानदंडों के प्रवर्तन की निगरानी करने की आवश्यकता थी.
बिहार के मुख्य सचिव की ओर से पेश कि गयी रिपोर्ट के आधार पर पीठ ने पाया कि बिहार में ठोस और तरल कचरे के waste management में सरकार विफल रही है.
एनजीटी ने तरल कचरे के waste management में अंतर और विफलता के लिए सरका परर लगभग 4,000 करोड़ रुपये का जुर्माना तय किया है. वही ठोस कचरे के संबंध में अधूरे डाटा की वजह से फिलहाल फिलहाल कोई मुआवजा नहीं लगाया है.
एनजीटी ने जुर्माने की रारिश को राज्य को मुख्य सचिव के निर्देशों के अनुसार संचालित होने वाले एक अलग रिंग-फेंस खाते में जमा करने और बहाली के उपायों के लिए उपयोग करने का निर्देश दिया है.
बहाली के उपायों में solid waste processing सुविधाओं की स्थापना, पुराने कचरे का उपचार और sewage treatment plants (STPs) और fecal sludge and septage treatment plants स्थापित करने में खर्च करने होंगे.
एनजीटी बिहार सरकार को आदेश दिए है कि वह जनहित में मीडिया की भागीदारी के साथ विशेष अभियान की भी शुरूआत करें, जिसमें राज्य में विभिन्न स्तरों पर उपलब्ध विशेषज्ञों और अन्य हितधारकों के साथ विचार-मंथन करते हुए ठोस और सीवेज प्रबंधन दोनों के लिए मॉडल विकसित करें.