अपने खर्चे पर माफीनामा छपवाएंगे IMA अध्यक्ष, सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव के जैसे प्रेस कांफ्रेस करने पर फटकारा, 27 को अगली सुनवाई
पतंजलि भ्रामक विज्ञापन केस में प्रेस कांफ्रेस का बड़ा दिलचस्प योगदान रहा है. विवाद प्रेस कांफ्रेस से ही उपजी थी. IMA अध्यक्ष या अंग्रेजी में प्रेसिडेंट, मतलब एक ही अमुक संगठन का मुखिया होना. IMA यानि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आरवी अशोकन ने पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव पर आरोप लगाया कि वे आधुनिक दवाइयों (Modern Medicine) के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर प्रेस कांफ्रेस कर दुष्प्रचार कर रहे हैं.
अपने ही मामले में बुरे फंसे IMA प्रेसिडेंट, दोबारा से छपवाना होगा माफीनामा
आगे बढ़ने से पहले बीते कल की सुनवाई से अवगत होतें हैं. कल की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने IMA अध्यक्ष से पूछा कि आपने माफीनामा कहां छपवाया? क्या माफीनामा उन अखबारों-समाचार चैनलों को दिया गया था, जिनसे PTI ने आपके इंटरव्यू को शेयर किया था.
जवाब में IMA प्रेसिडेंट ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्होंने माफीनामे को केवल IMA की मासिक पत्रिका-पत्रों में, IMA की वेबसाइट पर और PTI को दिया गया था.
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प्रत्युत्तर से नाखुश सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा से निर्देश देते हुए अक्षरश: पालन करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने माफीनामा को PTI एजेंसी के जरिए चलाए गए मीडिया अखबारों में छपवाने को कहा है. ये विज्ञापन IMA प्रेसिडेंट को अपने पैसे से छपवाने होंगे. इसमें IMA की फंड का प्रयोग नहीं किया जाएगा. उक्त आदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले को 27 अगस्त के लिए सूचीबद्ध किया है.
पूरा मामला क्या है?
साल 2022 में इसे लेकर रिट याचिका दायर की गई, सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के रवैये को लेकर टिप्पणी की कि देश भर को ठगा गया है. पतंजलि के संस्थापकों से माफीनामा छपवाया गया. माफीनामा सुप्रीम कोर्ट के अनुरूप नहीं था, खामियां पकड़े जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा से माफीनामा छपवाया.
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को अपने घर को आर्डर में रखने को कहा. अदालत ने कहा कि अगर आप एक ऊंगली किसी पर उठाते हो तो चार ऊंगली आपकी अपनी तरफ होती है.
सुप्रीम कोर्ट के इस हिदायत से IMA अध्यक्ष को ठेस पहुंची, प्रेंस कांफ्रेस कर अपना सुप्रीम कोर्ट की हिदायतों से अपनी नाराजगी जाहिर की. कहा कि शीर्ष अदालत ने ऐसा कहकर प्राइवेट डॉक्टरों के मनोबल को कम किया है.
अब तक विवश बैठी पतंजलि को मौका मिल गया. वे आनन-फानन में सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंचे. पूरा घटनाक्रम सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि IMA अध्यक्ष ने निर्देशों पर गौर करने की बजाय उसे सम्मान का प्रश्न बना लिया. अब तक इस बात का एहसास तो IMA प्रेसिडेंट को भी हो चुकी थी. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगते हुए दावा किया कि आगे से ऐसी गलती नहीं होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक तौर पर माफीनामा छपवाने के निर्देश दिए. इसके बाद 9 जुलाई के दिन IMA प्रेसिडेंट ने बताया कि उन्होंने बिना शर्त माफी मांग ली है. माफीनामे को एसोसिएशन की मासिक पत्रिका, आईएमए की वेबसाइट और पीटीआई में प्रकाशित किया गया था.