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अवैध धर्मांतरण मामले में मौलाना समेत 16 लोग दोषी करार, यूपी कोर्ट आज सजा पर सुनाएगी फैसला

उत्तर प्रदेश में आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) की विशेष अदालत ने मंगलवार को अवैध धर्मांतरण रैकेट के 2021 के एक मामले में इस्लामिक उपदेशक मौलाना कलीम सिद्दीकी और इस्लामिक दावा सेंटर के संस्थापक मोहम्मद उमर गौतम समेत 16 लोगों को दोषी ठहराया है.

Written By Satyam Kumar | Updated : September 11, 2024 9:16 AM IST

उत्तर प्रदेश में आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) की विशेष अदालत ने मंगलवार को अवैध धर्मांतरण रैकेट के 2021 के एक मामले में इस्लामिक उपदेशक मौलाना कलीम सिद्दीकी और इस्लामिक दावा सेंटर के संस्थापक मोहम्मद उमर गौतम समेत 16 लोगों को दोषी ठहराया है.

अवैध धर्मातरण में दोषी पाए गए 16 लोग, अदालत आज सुनाएगी सजा

स्पेशल कोर्ट में विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने सभी दोषियों को जेल भेजते हुए सजा की अवधि पर बहस के लिए 11 सितंबर की तारीख तय की है. बुधवार को विस्तृत आदेश आने की उम्मीद है. अधिकारियों ने बताया कि आरोपी उत्तर प्रदेश में सुनने में अक्षम छात्रों और गरीब लोगों को इस्लाम में धर्मांतरित करने में शामिल एक संगठन चला रहे थे, जिसके लिए उन्हें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से संदिग्ध फंडिंग मिल रही थी.

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गौतम दिल्ली के जामिया नगर के बाटला हाउस में रहता था और उसने हिंदू धर्म से इस्लाम धर्म अपना लिया था. पूछताछ के दौरान उसने पुलिस के सामने दावा किया कि उसने "कम से कम 1,000 लोगों को इस्लाम में धर्मांतरित किया है", उन्हें शादी, पैसे और नौकरी का लालच दिया गया था.

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विशेष लोक अभियोजक एम के सिंह के अनुसार, "आरोपी एक साजिश के तहत धार्मिक उन्माद, दुश्मनी और नफरत फैलाकर देश भर में अवैध धर्मांतरण रैकेट चला रहे थे" और उनके अंतरराष्ट्रीय संबंध थे. पुलिस ने रिपोर्टर को बताया कि वे जिस संगठन को संचालित करते थे, उसका नाम इस्लामिक दावा सेंटर था, जिसकी पहुंच पाकिस्तान की आईएसआई और अन्य विदेशी एजेंसियों से थी.

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मामला क्या है?

यूपी पुलिस के अनुसार गौतम को मुफ्ती काजी जहांगीर आलम कासमी के साथ 20 जून, 2021 को जामिया नगर से गिरफ्तार किया गया था। एटीएस ने लखनऊ में प्राथमिकी दर्ज करने और कथित अवैध धर्मांतरण और विदेशी फंडिंग की जांच शुरू करने के बाद विभिन्न अभियानों में देश के विभिन्न हिस्सों से आरोपियों को गिरफ्तार किया। इन सभी आरोपियों पर आईपीसी की धारा 417 (धोखाधड़ी), 120बी (आपराधिक साजिश), 121ए (राज्य के खिलाफ अपराध करने की साजिश), 123 (युद्ध छेड़ने की साजिश को सुविधाजनक बनाने के इरादे से छिपाना, 153ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 153बी (घृणा को बढ़ावा देने के इरादे से आरोप, दावे और आक्षेप), 295ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य), 298 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से शब्द बोलना) के तहत आरोप लगाए गए थे।

उन पर यूपी गैरकानूनी धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 के तहत भी मामला दर्ज किया गया था.

दोषियों में राहुल भोला उर्फ ​​राहुल अहमद, मन्नू यादव उर्फ ​​अब्दुल मन्नान, सलाहुद्दीन जैनुद्दीन शेख, अब्दुल्ला उमर, मोहम्मद सलीम, कुणाल अशोक चौधरी, धीरज गोविंद राव जगताप और सरफराज अली जाफरी शामिल थे.