मौलाना तौकीर रजा कैसे फंसे IPC की धारा 295A के जाल में? जानिये मामला
बरेली: इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा के खिलाफ गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद के समर्थन में 'भड़काऊ' टिप्पणी करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है. समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार रजा ने सात मई को फरीदपुर में एक चुनावी सभा में कहा था कि अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या व समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के 'अपमान' का बदला लेना चाहिए.
IPC की धारा 295-ए के तहत शिकायत दर्ज
सोशल मीडिया पर उनके भाषण के वीडियो वायरल होने के बाद रजा पर भारतीय दंड संहिता ( Indian Penal Code- IPC) की धारा 295-ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
समाचार एजेंसी आईएएनएस की माने तो फरीदपुर में पुलिस चौकी प्रभारी सब-इंस्पेक्टर गौरव कुमार की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई है. अपनी शिकायत में कुमार ने कहा कि रजा ने कई जगहों पर जनसभाओं को संबोधित किया, जहां उन्होंने भड़काऊ भाषण दिए और लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई, इससे शांति भंग हो सकती है.
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इस मामले की जांच की जिम्मेदारी एसआई सुनील भारद्वाज को सौंप दी गई है.
सरकार हमें चुप नहीं करा सकती: रजा
समाचार एजेंसी द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार, दर्ज प्राथमिकी पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए रजा ने कहा कि, 'ऐसा लगता है कि अब हमें बोलने का भी अधिकार नहीं है. पुलिस हिरासत में जिस तरह से अतीक और उसके भाई की हत्या की गई, हम उसकी निंदा करते हैं, लेकिन मुझे फंसाने के लिए बयान का गलत अर्थ निकाला गया और तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया.' 'बदला' कहने का मतलब यह नहीं है कि हम हथियार उठा लेंगे. इसका मतलब है कि हम उन्हें लोकतंत्र की ताकत दिखाने के लिए एक साथ वोट देंगे.
गौरतलब है कि अतीक और अशरफ को हाल ही में प्रयागराज में पुलिस के सामने मीडियाकर्मियों के भेष में आए तीन लोगों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी.
मौलवी ने कहा, मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि मैं इन मामलों से डरने वाला नहीं हूं. सरकार मुझ पर मुकदमे लगाकर मेरी आवाज को चुप नहीं करा सकती. सरकार अप्रत्यक्ष रूप से हमारे समुदाय के वोट देने के अधिकार को छीनने की कोशिश कर रही है.
IPC Section 295-A के तहत अपराध और सजा
IPC की धारा 295A के अनुसार, जो भी व्यक्ति, भारत के नागरिकों के किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से, जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण तरीके से या तो बोलकर या लिखकर शब्दों द्वारा, या संकेतों या दृश्य प्रस्तुतियों (Visible Representation) द्वारा या अन्य किसी माध्यम से, उस वर्ग के धर्म या धार्मिक मान्यताओं का अपमान करता है या अपमान करने का प्रयास करता है, तो ऐसे व्यक्ति को इस धारा के तहत अपराधी माना जाएगा और उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
धारा 295A के अंतर्गत परिभाषित अपराध एक गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध है. इस तरह के मामलों में अपराधी को बिना वारंट (Warrant) के गिरफ्तार किया जा सकता है. इस तरह के अपराध में समझौता नहीं किया जा सकता है.
दोषी साबित होने पर आरोपित को 3 साल तक की जेल या जुर्माने या दोनों ही सज़ा हो सकती है.