Bombay HC ने कहा बिना किसी यौन मंशा से प्यार जताने के लिए लड़की का हाथ पकड़ना यौन उत्पीड़न नहीं
नई दिल्ली: बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक व्यक्ति को यह कहते हुए अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) दे दी कि बिना किसी यौन मंशा से किसी लड़की से अपने प्यार का इजहार करने के लिए उसका हाथ पकड़ना यौन उत्पीड़न नहीं माना जाएगा. अदालत "धनराज बाबू सिंह राठौड़ बनाम महाराष्ट्र राज्य" केस की सुनवाई कर रही थी. जिसमें आरोपित ने एक नाबालिग लड़की का हाथ पकड़कर उसके लिए अपनी "पसंद" जाहीर की थी.
जस्टिस भारती डांगरे ने कहा कि आरोपी धनराज का नाबालिग लड़की की लज्जा भंग करने या उसका यौन उत्पीड़न करने का कोई यौन इरादा नहीं था और इस तरह कोई मामला प्रथम दृष्टया नहीं बनता था.
पीठ ने 10 फरवरी को पारित आदेश में कहा, "लगाए गए आरोपों से, यह देखा जा सकता है कि प्रथम दृष्टया किसी भी यौन उत्पीड़न का मामला नहीं बनता है, क्योंकि यह अभियोजन पक्ष का मामला नहीं है कि आवेदक ने किसी यौन इरादे से उसका हाथ पकड़ा था. एक पल के लिए मान लिया कि आरोपित पीड़िता के लिए अपनी पसंद व्यक्त की, फिर भी पीड़ित लड़की के बयान से कोई यौन मंशा का संकेत नहीं मिलता है. प्रथम दृष्टया आरोपित गिरफ्तारी से सुरक्षा का हकदार है, क्योंकि किसी भी उद्देश्य के लिए उसे हिरासत में रखने की जरूरत नहीं है."
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क्या था मामला
इस मामले की शिकायत पीड़िता के पिता ने 1 नवंबर, 2022 को कराई थी. जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि अभियुक्त (Accused), धनराज बाबू सिंह राठौड़ ने उनकी 17 वर्षीय बेटी के साथ यौन उत्पीड़न करने का प्रयास किया है और उसका हाथ पकड़कर उसका शील भंग भी किया. पिता के अनुसार, आवेदक पीड़िता और उसके परिवार को जानता था. आरोपित उनके आसपास रहता था.
आरोपित एक ऑटो रिक्शा चलाता था और पीड़िता कई बार अपने स्कूल और ट्यूशन सेंटर उसके ऑटो रिक्शा से जाया करती थी. हालांकि, पीड़िता ने आरोपित के ऑटो रिक्शा में यात्रा करना बंद कर दिया था. जिसके कारण घटना के दिन, आरोपित ने पीड़िता को रोका और उसे अपने ऑटो रिक्शा में यात्रा करने के लिए मनाया, लेकिन पीड़िता ने इनकार कर दिया.
इसके बाद उसने पीड़िता का हाथ पकड़ा, उससे अपने प्यार का इजहार किया और जोर देकर कहा कि वह उसके ऑटो रिक्शा में बैठ जाए ताकि वह उसे घर छोड़ सके हालांकि, लड़की मौके से भाग गई और पिता को पूरी बात बताई जिसके बाद राठौड़ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई.
तथ्यों को देखने के बाद न्यायमूर्ति डांगरे ने आवेदक को बचाने का फैसला किया और उसे अग्रिम जमानत दे दी.