2016 हिट एंड रन केस: मृतक के परिवार को आठ साल बाद मिला मुआवजा, फैसले में ट्रिबयूनल ने जो कहा, वह जानना चाहिए
2016 Hit & Run Case: 32 वर्षीय सिद्धार्थ शर्मा की मौत के 8 साल बाद, उनके माता-पिता को लगभग 2 करोड़ रुपये का मुआवज़ा मिला है. अप्रैल 2016 में सिविल लाइंस इलाके में एक नाबालिग द्वारा लापरवाही से चलाई जा रही कार ने उन्हें टक्कर मार दी थी. नाबालिग चालक द्वारा चलाए जा रहे मर्सिडीज से टक्कर में सिद्धार्थ शर्मा की घटनास्थल पर ही मौत हो गई. अब मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (MACT) के जज पंकज शर्मा ने पाया कि सिद्धार्थ शर्मा की मौत 4 अप्रैल, 2016 को नाबालिग द्वारा तेज और लापरवाही से चलाए गए वाहन के कारण हुई थी.
ट्रिब्यूनल ने कहा,
"वास्तव में, पिता मनोज अग्रवाल ने सड़क पर चल रहे अन्य लोगों की जान की कीमत पर अपने नाबालिग बेटे के गाड़ी चलाने को बढ़ावा दिया. अपने नाबालिग बेटे को मर्सिडीज चलाने से रोकने के बजाय, उसने इसे अनदेखा करना चुना, जो उसकी ओर से मौन सहमति को दर्शाता है. यह तथ्य कि दुर्घटना के पहले वह घर पर था, उसके बेटे को घर से मौज-मस्ती के लिए कार ले जाने से रोकने का और भी बड़ा कारण था."
ट्रिब्यूनल ने बीमा कंपनी को 30 दिनों के भीतर लगभग 1.98 करोड़ रुपये (मुआवजा और ब्याज) का मुआवजा देने का आदेश दिया. हालांकि, अदालत ने बीमा कंपनी को पिता की कंपनी से मुआवजे की राशि वसूलने की स्वतंत्रता दी है. जिस वाहन से दुर्घटना हुई, वह कंपनी के नाम पर पंजीकृत था.
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अन्य तथ्यों के साथ-साथ न्यायालय ने यह भी माना कि मृत्यु के समय सिद्धार्थ जनवरी 2015 में 25000 रुपये मासिक वेतन ले रहा था. वह साथ में पढ़ाई भी कर रहा था. इस दौरान उसे 10 लाख रुपये प्रति वर्ष वेतन वाली नौकरी का प्रस्ताव मिला था.
इस मामले में दिल्ली पुलिस ने विस्तृत दुर्घटना रिपोर्ट (डीएआर) दाखिल की, जिसमें कहा गया कि नाबालिग द्वारा वाहन को बहुत तेज गति से चलाया जा रहा था. कार ने सिद्धार्थ को टक्कर मारी और वह 15-20 फीट हवा में उछल गया. गंभीर चोटों के कारण उसकी मौत हो गई. दिल्ली पुलिस ने इस बात पर भी जोड़ दिया कि इस पूरी घटनाक्रम सीसीटीवी में कैद है.