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हाई कोर्ट ने ऑटो वाहन के हस्तांतरण पर 5 साल की रोक मुद्दे पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा

दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि अपवादों को हटाने की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए नीतिगत फैसला किया जाएगा और उन्होंने अदालत से स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय देने का अनुरोध किया.

Written By My Lord Team | Published : June 16, 2023 12:23 PM IST

नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने ऑटो चालक कल्याण संघ की याचिका पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया. कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के बाद स्वामियों द्वारा तीन सीट वाले ऑटो रिक्शा (टीएसआर) के हस्तांतरण पर पांच साल की रोक (लॉक-इन) पर नगर की सरकार से जवाब मांगा है।

न्यूज़ एजेंसी भाषा के अनुसार, न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने 31 मई को ऑटो चालक कल्याण संघ की याचिका पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया। संगठन का दावा है कि वह ऑटो मालिकों और चालकों के कल्याण के लिए काम करता है। इस मामले में अगली सुनवाई 29 अगस्त को होगी।

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रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि अपवादों को हटाने की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए नीतिगत फैसला किया जाएगा और उन्होंने अदालत से स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय देने का अनुरोध किया।

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याचिकाकर्ता के वकील बीनाशॉ एन सोनी ने कोर्ट के समक्ष दलील दी कि ऑटो के हस्तांतरण पर पांच साल की लॉक-इन अवधि एक अनुचित प्रतिबंध है और सिर्फ राष्ट्रीय राजधानी में ही ऐसी रोक है। उन्होंने कहा कि किसी अन्य सार्वजनिक वाहन पर इस तरह का कोई रोक नहीं है।

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याचिकाकर्ता ने कहा है कि दिल्ली सरकार द्वारा लागू लॉक-इन अवधि के कारण ऑटो मालिकों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, जिन्होंने अपनी गाढ़ी कमाई से वाहन खरीदा है। संगठन ने दलील दी कि कुछ ऑटो मालिक अपने वाहनों को इलेक्ट्रिक ऑटो से बदलना चाहते हैं लेकिन प्रतिबंध के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है।

भाषा के अनुसार, याचिका में कहा गया है की, "टीएसआर ऑटो गरीब ऑटो चालक की चल संपत्ति है और उसे इस संपत्ति को बेचने का अधिकार है क्योंकि उसने दिल्ली सरकार से बिना किसी सब्सिडी के और बिना किसी छूट के वाहन को विधिवत खरीदा है तथा उसकी पूरी कीमत दी है।"

उल्लेखनीय है कि याचिका में दलील दी गई है कि किसी व्यक्ति द्वारा अपने ऑटो के बेचने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें इसे चलाने के लिए स्वस्थ नहीं होना या वाहन चलाने की इच्छा नहीं होना इत्यादि।