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L Victoria Gowri: इधर जज बनने के लिए जारी हुआ नियुक्ति वारंट, उधर SC ने कहा कि वो करेगा मामले पर सुनवाई

मद्रास हाईकोर्ट की एडवोकेट L Victoria Gowri की नियुक्ति का मामला अब विवादों में गिर गया है. विक्टोरिया गौरी के खिलाफ शिकायतों में सामने आए नए तथ्यों के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने स्व: संज्ञान लिया है. सीजेआई की पीठ ने इस मामले को सुनवाई के लिए मंगलवार को उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है.

Written By Nizam Kantaliya | Published : February 6, 2023 10:01 AM IST

नई दिल्ली: मद्रास हाईकोर्ट में जज के रूप में नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा की गई सिफारिश के बाद सामने आए नए तथ्यों को लेकर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने स्व: प्रसंज्ञान लिया है.

सोमवार को ही राष्ट्रपति भवन की ओर से मद्रास हाईकोर्ट में जज के रूप में नियुक्ति के लिए एडवोकेट एल विक्टोरिया गौरी का नियुक्ति वारंट जारी किया गया है. केन्द्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने सुबह अपने ट्विटर हैंडल से गौरी के नियुक्ति वारंट की जानकारी साझा की थी.

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कानून मंत्री द्वारा साझा की गई जानकारी के साथ ही दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट में गौरी के चयन का मामला मेंशन किया गया था.

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सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष मेंशन करने पर सीजेआई ने खुली अदालत में बेहद अहम जानकारी साझा करते हुए कहा कि  कॉलेजियम ने इसका संज्ञान लिया है और गौरी की नियुक्ति के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट के  वकीलों द्वारा दायर याचिका पर कल ही सुनवाई की जाएगी.

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सीजेआई ने कहा

CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन को संबोधित करते हुए हमने याचिका देखी है और हमने इसे पढ़ा है. कुछ घटनाक्रम हुए हैं. इस मामले में कॉलेजियम ने संज्ञान लिया है और यह हमारी सिफारिश के बाद किया गया है."

वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने पीठ से कहा कि केंद्र सरकार गौरी के नाम को मंजूरी दे चुकी है इसलिए तत्काल इस मामले पर सुनवाई करने लिए सूचीबद्ध करने की जरूरत है.

जिस पर सीजेआई ने कहा, "मैं एक बेंच का गठन करूंगा और यह मामला कल सुबह उस बेंच के सामने रखा जाएगा।" इसके साथ ही सीजेआई की पीठ ने निर्देश दिया कि इस मामले को 7 फरवरी, 2023 को एक उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए.

राष्ट्रपति को लिखा गया था पत्र

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 17 जनवरी को मद्रास हाईकोर्ट के लिए एडवोकेट गौरी सहित 5 अधिवक्ताओं के नाम की सिफारिश केंद्र को भेजी थी. कॉलेजियम की सिफारिश के करीब दो सप्ताह बाद म्रदास हाईकोर्ट के वकीलों के एक समूह ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर कॉलेजियम द्वारा की गई इस सिफारिश का विरोध किया-

1 फरवरी को भेजे गए पत्र में मद्रास हाईकोर्ट बार के 22 वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने अधिवक्ता गौरी द्वारा यूट्यूब चैनल को दिए गए इंटरव्यू का भी हवाला दिया था.

शिकायत में एडवोकेट गौरी द्वारा अल्पसंख्यकों के खिलाफ पूर्व में दिए गए उनके बयान भी शामिल थे. जिसमें दावा किया गया था कि एडवोकेट गौरी ने इस्लाम और ईसाई धर्म के खिलाफ गंभीर टिप्पणियां की है. अधिवक्ताओं के समूह ने अधिवक्ता गौरी द्वारा अल्पसंख्यकों के खिलाफ दिए गए विवादित बयानों का उल्लेख करते हुए उनके चयन से न्यायपालिका को गंभीर नुकसान होने की बात कही.

अधिवक्ताओं ने अपनी शिकायत में कहा था कि गौरी के बयान स्वतंत्र न्यायपालिका के लिए उचित नहीं है और उनसे जुड़े कई "परेशान करने वाले तथ्य" हैं.

क्या कहा था एडवोकेट गौरी ने

पत्र के अनुसार अपने पहले साक्षात्कार में जो कि 27 फरवरी 2018 से पहले लिया गया था. इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा और शांति के लिए अधिक खतरा? जिहाद या ईसाई मिशनरी? विषय पर अधिवक्ता गौरी ने अपने साक्षात्कार में कहा कि "इस्लाम समूहों की तुलना में ईसाई समूह अधिक खतरनाक हैं. लव जिहाद के संदर्भ में दोनों समान रूप से खतरनाक हैं.

इसी साक्षात्कार में उन्होने कहा कि जैसा की इस्लाम हरा आतंक है, ईसाई सफेद आतंक है.

वही एक दूसरे 5 जून, 2018 को दिए गए इंटरव्यू में गौरी कहती है कि "भरतनाट्यम को ईसाई गीतों के लिए नृत्य नहीं किया जाना चाहिए"

इसके साथ ही अधिवक्ताओं के समूह ने गौरी द्वारा लिखे गए और वर्ष 2012 में आरएसएस के प्रकाशन ऑर्गनाइजर में प्रकाशित एक लेख का भी हवाला दिया है.

राष्ट्रपति को लिखे पत्र में बार सदस्यों ने कहा है कि अधिवक्ता गौरी के साक्षात्कार अभद्र भाषा के समान हैं, और सांप्रदायिक कलह और हिंसा को भड़काने और फैलने की संभावना रखते है.

लौटाई जाए सिफारिश

पत्र में बार सदस्यों ने राष्ट्रपति से अधिवक्ता गौरी की सिफारिश को वापस लौटाने का अनुरोध किया था. साथ ही यह स्पष्टीकरण भी मांगा है कि कैसे एक व्यक्ति जिसने देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण दिए है उसकी सिफारिश उच्च संवैधानिक संस्थान हाईकोर्ट में जज बनाने के लिए की गई.

पत्र के सार्वजनिक होने के एक सप्ताह के भीतर ही सोमवार को राष्ट्रपति भवन से एडवोकेट गौरी के नियुक्ति वारंट जारी हुए है. कानून मंत्री द्वारा नियुक्ति वारंट की जानकारी साझा करने के बाद ही यह मामला सुप्रीम कोर्ट में मेंशन किया गया.