संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव घोटाला: क्या Rajasthan की सरकार के जवाब ने बढा दी है CM अशोक गहलोत के लिए कानूनी मुश्किलें?
नई दिल्ली: Rajasthan High Court में राजस्थान सरकार का जवाब ही अशोक गहलोत को दिल्ली में उनके खिलाफ दायर मानहानि केस में मुश्किल में डाल सकता है? केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत ने संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव घोटाले मामले में गिरफतारी से बचने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ में याचिका दायर की थी.
गुरूवार को राजस्थान हाईकोर्ट ने शेखावत की याचिका पर सरकार के जवाब के बाद केन्द्रीय मंत्री की गिरफतारी पर रोक लगा दी है.
मामला यहीं से शुरू होता है, कानूनी जानकारों के अनुसार Rajasthan High Court द्वारा केन्द्रीय मंत्री को दी गई राहत के इस आदेश में ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए मुश्किल भी छुपी हुई है.
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हाईकोर्ट के इस आदेश में राजस्थान सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने जो जवाब पेश किया है वही जवाब अशोक गहलोत के खिलाफ दिल्ली में दायर मानहानि के केस में कानूनी परेशानी बन सकता है.
High Court में राजस्थान सरकार ने कहा है कि संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव घोटाले से जुड़ी एसओजी द्वारा दर्ज किसी भी एफआईआर में याचिकाकर्ता गजेन्द्रसिंह शेखावत का नाम शामिल नही है और इनमें से किसी में भी शेखावत आरोपी नहीं है.
सरकार के जवाब से शेखावत को राहत
सरकारी अधिवक्ता द्वारा पेश किए गए जवाब में कहा गया है कि चूंकि याचिकाकर्ता शेखावत किसी भी प्राथमिकी में आरोपी नहीं है,
इसलिए उसे एसओजी द्वारा गिरफ्तार किए जाने की कोई आशंका नहीं है.
राजस्थान हाईकोर्ट ने गुरूवार को शेखावत की याचिका में सरकार के इसी जवाब को आधार बनाते हुए केन्द्रीय मंत्री को राहत देते हुए गिरफतारी पर रोक लगाई है.
राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सरकार के इसी जवाब के आधार पर Special Police Station SOG, ATS. & SOG, Jaipur में दर्ज FIR No.32/2019 में याचिकाकर्ता की गिरफतारी पर रोक लगाई जाती है और मामले की अगली सुनवाई भी 30 मई को तय की है.
क्या है दिल्ली का मानहानि मुकदमा
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में अशोक गहलोत के खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया था. आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत दर्ज किए गए इस मामले में गहलोत के खिलाफ मानहानि की कार्यवाही का अनुरोध किया गया है.
शेखावत की ओर से दायर मुकदमें में कहा गया कि इस मामले में एक जांच शुरू की गई थी, लेकिन उनके नाम का कहीं उल्लेख नहीं किया गया था. लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री ने खुले तौर पर उन्हे 'दूसरों की तरह अपराधी' घोषित दिया जिससे उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ है.
दायर मुकदमें में मंत्री ने कहा कि सीएम गहलोत ने उन्हें संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले में 'आरोपी' करार दिया, जो 'बदला लेने के लिए उनकी राजनीतिक हत्या' के समान है. उन्होंने कहा, "एसओजी ने तीन चार्जशीट पेश कीं, लेकिन न तो मेरे और न ही मेरे परिवार का कहीं नाम है, फिर भी मुख्यमंत्री ने मुझे आरोपी बताया."
फिलहाल दिल्ली पुलिस कर रही है जांच
गौरतलब है कि दिल्ली की Rouse Avenue Court ने 25 मार्च को ही केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत की ओर दायर किए गए मानहानि केस में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान की जांच करने के आदेश दिए है.
शेखावत की ओर से दायर किए गए मानहानि के मुकदमें में दावा किया गया है कि गहलोत ने संजीवनी घोटाले में पूर्व की कथित संलिप्तता के बारे में बयान दिया था.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत और उनकी मां को संजीवनी घोटाले में आरोपी बताने का आरोप है.
राउज एवेन्यू कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने दिल्ली पुलिस को यह जांच करने का आदेश दिया था कि क्या राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वास्तव में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को संजीवनी घोटाले में आरोपी बताया है या नहीं.
अदालत ने दिल्ली पुलिस को जांच का आदेश देते हुए कहा कि "मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, यह निर्देश दिया जाता है कि संबंधित संयुक्त आयुक्त जांच की निगरानी करेंगे... संबंधित संयुक्त पुलिस आयुक्त मामले की जांच स्वयं या किसी ऐसे अधिकारी के माध्यम से करेंगे, जो इंस्पेक्टर के पद से नीचे का न हो।"
गहलोत का बयान!
फरवरी में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कथित संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले के पीड़ितो से मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत की थी. इन पीड़ित लोगों ने शेखावत पर घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया था.
पीड़ित लोगों से मिलने के बाद गहलोत ने मीडिया को दिए बयान में कथित रूप से कुछ बयान दिए जिसमें उन्होंने कथित तौर पर शेखावत का नाम लिया और पूछा कि ऐसे लोग मोदी सरकार में मंत्री कैसे बनते हैं?
मुकदमें के अनुसार मीडिया को दिए बयान में कथित रूप से सीएम अशोक गहलोत ने मंत्री को लेकर कहा कि "संजीवनी को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड घोटाले के मामले में केंद्रीय मंत्री जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की जांच में उनके खिलाफ भी उन्हीं धाराओं के तहत अपराध साबित हुआ है, जिनमें अन्य गिरफ्तार आरोपी हैं."
अगले ही दिन शेखावत ने भी एक प्रेस-कॉन्फ्रेंस आयोजित कर इन आरोपों का खंडन किया था.
साबित हुआ तो बढेगी मुश्किलें!
राजस्थान हाईकोर्ट के इस आदेश से यह स्पष्ट हो गया है कि राजस्थान में एसओजी की ओर से दर्ज मामले में केन्द्रीय मंत्री का नाम शामिल नहीं है. ऐसे में अगर दिल्ली पुलिस की जांच में यह सामने आता है कि राजस्थान सीएम अशोक गहलोत ने गजेन्द्रसिंह शेखावत को लेकर ऐसा बयान दिया था, तो अशोक गहलोत की मुुश्किले बढ सकती है.
कानूनी जानकारों के अनुसार ऐसे में अशोक गहलोत को अवमानना की कार्यवाही का भी सामना करना पड़ सकता है.
एडीजे कोर्ट ने दिए थे जांच के आदेश
जयपुर की अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश जयपुर 8 महानगर द्वितीय ने संजीवनी क्रेडिट सोसायटी से जुड़े 900 करोड़ के इस घोटाले में में निगरानी याचिका स्वीकार करते हुए जुलाई 2020 में एसओजी को केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्रसिह शेखावत के साथ ही उनकी पत्नी, सहयोगी राजेंद्र बाहेती, केवलचंद डकलिया के खिलाफ भी अनुसंधान के आदेश दिए थे.
एसओजी को पहले से चल रहे मामले के साथ ही अनुसंधान का आदेश दिया गया था इस आदेश के खिलाफ केवलचंद डाकलिया ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर कर एसओजी जाचं पर रोक लगाने की मांग की.
राजस्थान हाईकोर्ट ने डाकलिया की याचिका पर सुनवाई के बाद एडीजे कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी. बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. केन्द्रीय मंत्री के करीबी और मामले में आरोपी बनाए गए केवलचंद डाकलिया ने सुप्रीम कोर्ट में कैवियट दायर की थी.