HC ने दिए थे शंभू बार्डर से बैरिकेड्स हटाने के आदेश, फैसले के खिलाफ हरियाणा सरकार SC पहुंची
हरियाणा सरकार ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिसमें उसे अंबाला के पास शंभू सीमा पर एक सप्ताह के भीतर बैरिकेड्स हटाने को कहा गया है. शंभू सीमा पर किसान 13 फरवरी से डेरा डाले हुए हैं.
अधिवक्ता अक्षय अमृतांशु के माध्यम से दायर राज्य सरकार की अपील में नाकेबंदी के लिए कानून एवं व्यवस्था की स्थिति का हवाला दिया गया है.
संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए 12 जुलाई को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से बैरिकेड्स हटाने को कहा था और राजमार्ग अवरुद्ध करने के उसके अधिकार पर सवाल उठाया था.
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हरियाणा सरकार ने फरवरी में अंबाला-नयी दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर बैरिकेड्स लगा दिए थे, जब संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने घोषणा की थी कि किसान फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों के समर्थन में दिल्ली तक मार्च करेंगे.
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने 12 जून को कहा था, “कोई राज्य राजमार्ग को कैसे बाधित कर सकता है? यातायात को नियंत्रित करना सरकार का कर्तव्य है. हम कह रहे हैं कि इसे खोलिये लेकिन नियंत्रित कीजिए.”
न्यायमूर्ति कांत ने राज्य के वकील से कहा था,
“आप उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती क्यों देना चाहते हैं? किसान भी इस देश के नागरिक हैं. उन्हें भोजन और अच्छी चिकित्सा सुविधा दीजिए. वे आएंगे, नारे लगाएंगे और वापस चले जाएंगे. मुझे लगता है कि आप सड़क मार्ग से यात्रा नहीं करते हैं.”
शीर्ष अदालत ने हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की थी, जिसमें फरवरी में प्रदर्शनकारी किसानों और हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़प के दौरान किसान शुभकरण सिंह की मौत की जांच के लिए उच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने के पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के सात मार्च के फैसले को चुनौती दी गई थी. बठिंडा निवासी 21 वर्षीय सिंह की 21 फरवरी को पंजाब-हरियाणा सीमा पर खनौरी में हुई झड़प में मौत हो गई थी और कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे.