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सुप्रीम कोर्ट ने ASI द्वारा ज्ञानवापी परिसर के Survey पर लगाई रोक, मुस्लिम पक्ष को Allahabad High Court जाने के लिए कहा

Supreme Court of India Hearing on Gyanvapi Case

ज्ञानवापी मामले में वाराणसी कोर्ट ने हिंदू पक्ष के हित में फैसला सुनाते हुए परिसर के ASI सर्वे की अनुमति दे दी थी, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने मुस्लिम पक्ष की अपील को आज सुनाने के बाद एएसआई (ASI) सर्वे पर बुधवार, 26 जुलाई, 2023 को शाम पांच बजे तक रोक लगा दी है।

Written By Ananya Srivastava | Updated : July 24, 2023 1:17 PM IST

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले की एक अदालत के आदेशानुसार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के खिलाफ मुस्लिम पक्ष (ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति) अपनी याचिका को भारत के चीफ जस्टिस डी चंद्रचूड़ प्रस्तुत करते हुए कहा की यह ये सर्वे आपके पुराने आदेश का उल्लंघन है जिसपर रोक लगनी चाही।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मस्जिद समिति की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी की दलील का संज्ञान लिया कि मामले में तत्काल सुनवाई की जानी चाहिए। इस पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

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पीठ ने परिसर में वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर बुधवार शाम तक रोक लगा दी और मस्जिद समिति से इस अवधि में उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करने को कहा।

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प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “हमारी राय है कि मस्जिद समिति को कुछ समय दिया जाना चाहिए। हम याचिकाकर्ता (मस्जिद समिति) को इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए अनुच्छेद-227 (उच्च न्यायालयों के रिट क्षेत्राधिकार) के तहत वाराणसी के जिला न्यायाधीश के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती देने की अनुमति देते हैं कि आदेश 21 जुलाई को शाम 4.30 बजे पारित किया गया था और एएसआई सर्वेक्षण सोमवार को शुरू किया जा रहा है।”

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पीठ ने अपने आदेश में कहा, “याचिकाकर्ता को कुछ समय देने के लिए हम निर्देश देते हैं कि जिला अदालत के आदेश पर 26 जुलाई को शाम पांच बजे तक अमल नहीं किया जाएगा। अगर याचिकाकर्ता इस अवधि में उच्च न्यायालय का रुख करता है, तो उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार-न्यायपालिका यह सुनिश्चित करेंगे कि इसे एक पीठ के समक्ष सूचिबद्ध किया जाए, ताकि यथास्थिति आदेश समाप्त होने से पहले इस पर सुनवाई हो सके।”

उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया कि एएसआई मस्जिद परिसर में फिलहाल सिर्फ फोटोग्राफी और राडार-इमेजिंग कर रहा है तथा वहां कोई तोड़फोड़ या खुदाई नहीं की जा रही है।

ज्ञानवापी परिसर में ASI Survey 

गौरतलब है कि वाराणसी जिले की एक अदालत के आदेशानुसार एएसआई की 30 सदस्यीय टीम ने सोमवार सुबह वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए ज्ञानवापी परिसर में प्रवेश किया, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित यह मस्जिद किसी मंदिर के ऊपर तो नहीं बनाई गई है।

हिंदू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने न्यूज़ एजेंसी भाषा को बताया कि एएसआई की टीम सुबह सात बजे वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए निर्धारित परिसर में दाखिल हो गई और मौके पर हिंदू पक्ष के सभी वादियों के अधिवक्‍ता भी मौजूद हैं।

वाराणसी के जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने रविवार देर रात कहा था कि एएसआई की टीम वाराणसी पहुंच गई है और सोमवार सुबह सात बजे से परिसर के अंदर सर्वेक्षण की कार्यवाही शुरू की जाएगी। रविवार रात पुलिस कमिश्नर वाराणसी अशोक मुथा जैन और जिलाधिकारी वाराणसी ने हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों के साथ बैठक कर उन्हें सर्वे के बारे में जानकारी दी।

वाराणसी कोर्ट ने सर्वेक्षण की अनुमति दी थी

आपको बता दें कि शुक्रवार को वाराणसी में जनपद न्यायाधीश एके विश्‍वेश की अदालत ने काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित मां श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष की मांग को स्वीकार करते हुए वजूखाने को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक एवं वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने की अनुमति दे दी थी।

मामले में हिंदू पक्ष द्वारा दायर याचिका में एएसआई को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

उल्लेखनीय है कि अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने स्थानीय अदालत में एक याचिका दायर की थी, जिसमें मस्जिद परिसर के अंदर स्थित मां श्रृंगार गौरी स्थल पर नियमित पूजा के अधिकार की मांग की गई थी।

अप्रैल 2022 में दिवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण का आदेश दिया था। मुस्लिम पक्ष के विरोध के बीच सर्वेक्षण अंततः मई 2022 में पूरा हुआ था। इसी दौरान हिंदू पक्ष ने मस्जिद परिसर के अंदर वजू के लिए बने तालाब में शिवलिंग’ मिलने का दावा किया था, जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था.