Ahmedabad Serial Blast: दोषी वकील रखने में असमर्थ है, तो राज्य की तरफ से सहायता दी जा सकती है, Gujarat High Court ने कहा
गुजरात हाइकोर्ट (Gujarat High Court) ने 38 में से एक दोषी की सजा की तय करने के लिए कानूनी सहायता देने का जिक्र किया है. 2008 के अहमदाबाद सीरीयल ब्लास्ट (Ahmedabad Serial Blast) मामले में कोर्ट ने साबरमती केंद्रीय जेल के अधिकारियों को दोषी के लिए एक वकील मुहैया कराने के दिशा निर्देश दिए.
दोषी को मिले कानूनी प्रतिनिधित्व
जस्टिस एवाई कोगजे ( AY Kogje) और जस्टिस समीर जे. दवे (Sameer J. Dave) की बेंच को जेल अधिकारियों से पता चला कि अहमदाबाद सीरीयल ब्लास्ट मामले में मौत की सजा पाए 38 दोषियों में से केवल एक ने अभी तक मौत की सजा की सुनवाई के लिए कानूनी प्रतिनिधित्व (Legal Representation) नहीं हासिल कर पाया है. तो इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि दोषी अपने लिए वकील रखने में सक्षम नहीं है, तो उसे कानूनी सेवा प्राधिकरण (Legal Service Authority) की सहायता से वकील मिल सकता है.
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बता दें कि, मार्च, 2022 में हाइकोर्ट ने 2008 के अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट के 38 दोषियों को नोटिस जारी किया था, जिन्हें सेशन कोर्ट ने 18 फरवरी, 2022 को विशेष नामित न्यायाधीश (Special Designated Judges) द्वारा मौत की सजा सुनाई गई.
CrPC की धारा 366 में क्या है?
सीआरपीसी (CrPC) की धारा 366 के अनुसार, जब सत्र न्यायालय (Session Court) किसी मामले में मौत की सजा सुनाता है, तो इस सजा को लागू करने के लिए मामले को हाइकोर्ट (High Court) में पेश की जाएगी. और हाइकोर्ट की मंजूरी मिलने के बाद ही यह सजा लागू होगी. इस दौरान सेशन कोर्ट (Session Court) सजा दोषी व्यक्ति के खिलाफ वारंट जारी कर जेल में भेजेगी.
UAPA के तहत मिली मौत की सजा
स्पेशल डिजिग्नेटेड जज ने अहमदाबाद बम ब्लास्ट के 38 दोषियों को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 34 और 109 सपठित धारा 302 और गैरकानूनी गतिविधियां अधिनियम 1967 (UAPA) की धारा 10, 16 (1) (ए) (बी) के तहत दोषी पाते हुए मौत की सजा सुनाई.
26 जुलाई, 2008 को अहमदाबाद में राज्य सरकार द्वारा संचालित सिविल अस्पताल, अहमदाबाद नगर निगम द्वारा संचालित एलजी अस्पताल, बसों, खड़ी साइकिलों, कारों और अन्य स्थानों पर बम विस्फोट हुए थे, जिनमें 56 लोग मारे गए थे।