शख्स को सार्वजनिक रूप से पीटने के आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ Gujarat High Court ने क्या एक्शन लिया?
गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) ने एक शख्स को सार्वजनिक रूप से पीटने के आरोपी 4 पुलिसकर्मियों के खिलाफ अदालत की अवमानना का आरोप तय किया. पिछले साल खेड़ा जिले में चार पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर पांच मुस्लिम को सार्वजनिक रूप से पीटा था. अब कोर्ट ने अदालत की अवमानना अधिनियम के तहत आरोप तय किए. जस्टिस एएस सुपेहिया और जस्टिस एमआर मेंगडे की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी.
सुनवाई के दौरान, संबंधित पुलिस अधिकारियों में से एक डीबी कुमावत ने कहा कि घटना में उनकी कोई सक्रिय भागीदारी नहीं थी. इस पर जस्टिस सुपेहिया ने कहा कि घटना के समय कुमावत मौजूद थे और उन्होंने पीड़ितों को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया.
जज ने कहा,
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"उन्होंने उन पीड़ितों को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जिन्हें सार्वजनिक रूप से कोड़े मारे जा रहे थे और बेरहमी से पीटा जा रहा था. उन्होंने कोड़े मारने की सजा को रोकने के लिए भी कोई कदम नहीं उठाया जो कि एक अपमानजनक कृत्य है. चूंकि उनकी उपस्थिति विवादित नहीं है, इसलिए यह स्पष्ट है कि उन्होंने उक्त घटना में सक्रिय भूमिका निभाई और कोड़े मारने की सहमति दी थी."
चार पुलिसकर्मियों एवी परमार, डीबी कुमावत, कनकसिंह लक्ष्मण सिंह और राजू रमेशभाई डाभी को डीके बसु मामले में गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के आरोप में अवमानना के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है. हाईकोर्ट ने उन्हें 11 अक्टूबर तक अपने बचाव में हलफनामा दाखिल करने का समय दिया है.
क्या है पूरा मामला?
मालेक परिवार के पांच सदस्यों को खेड़ा जिले के मटर पुलिस स्टेशन के पुलिसकर्मियों ने उंधेला गांव में एक नवरात्रि कार्यक्रम के दौरान भीड़ पर पथराव करने के आरोप में पीटा था. पिटाई की घटना के वीडियो भी सोशल मीडिया पर सामने आए.
मालेक परिवार के सदस्यों ने डीके बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य के मामले में जारी सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के लिए पुलिसकर्मियों के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई की मांग करते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की, जिसमें किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने से पहले उचित प्रक्रिया का अनुपालन करने का आह्वान किया गया था.