अपराध को छुपाने पर सरकारी कार्मिको को भी होती है जेल, जानिए IPC की धारा 119
हमारे देश के कानून के अनुसार किसी सरकारी कार्मिक यानी लोकसेवक द्वारा किसी अपराध को छुपाने या अपराध करने में मदद करने पर भी जेल की सजा का प्रावधान करता है.
Written By My Lord Team | Published : January 7, 2023 12:26 PM IST
नई दिल्ली: हमारे देश में अक्सर कानून की जानकारी नहीं होने से आम नागरिक को कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. देश के एक सजग नागरिक के तौर पर आप कई बार किसी होने वाले अपराध की या हुए अपराध की जानकारी सरकारी अधिकारी या कार्मिक को इस विश्वास के साथ जानकारी देते है कि वह उस अपराध को रोकेगा, लेकिन अक्सर नागरिकों की शिकायत होती है कि उनके द्वारा अपराध की जानकारी दिए जाने के बावजूद सरकारी कार्मिक द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई या उसके द्वारा उस अपराध को छूपाया गया है.
हमारे देश के कानून के अनुसार किसी सरकारी कार्मिक यानी लोकसेवक द्वारा किसी अपराध को छुपाने या अपराध करने में मदद करने पर भी जेल की सजा का प्रावधान करता है.
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IPC की धारा 119
IPC की धारा 119 में लोकसेवक के लिए यह अनिवार्य किया गया है कि जिस अपराध या कार्य का निवारण करना उसका कर्तव्य है और उस अपराध के होने या करने के बाद भी लोकसेवक ऐसे अपराध के किए जाने की परिकल्पना को छुपाया गया है या उस अपराध को करने में मदद करता है तो इस धारा के तहत एक लोकसेवक भी अपराधी है.
यानी अगर कोई पब्लिक सर्वेंट (पुलिस अधिकारी, आईएएएस, या नेता) जिनकी जिम्मेदारी है अपराध को होने से रोकना. अगर वो किसी तरह के अपराध को होने में मदद करते हैं, या फिर जिस अपराध को उजागर कर उन्हे अपराधी को सजा दिलवानी चाहिए उस अपराध को फायदे के लिए छुपाते हैं. तो ऐसे में पब्लिक सर्वेंट या लोकसेवक भी सजा का पात्र होगा.
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धारा 119 के तहत सजा
यदि अपराध कर दिया जाय : इस धारा के अनुसार अगर कोई अपराध होने वाला है या अपराध हुआ है और जिसके चलते उस अपराध करने के दोषी के लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा होती है. ऐसे में अपराध की जानकारी होने के बावजूद छुपाने पर या उस अपराध में शामिल होने पर लोकसेवा को अपराधी को मिलने वाली सजा के आधी सजा मिलेगी. साथ ही जुर्माना भी देना पड़ सकता है.
यदि अपराध मृत्यु आदि से दंडनीय है : जिन अपराधों में सजा मौत या आजीवन कारावास है तो इसके लिए 10 साल या उससे ज्यादा की सजा मिल सकती है. साथ ही कोर्ट चाहे तो जुर्माना भी लगा सकती है.
यदि अपराध नहीं किया जाए : अगर वो अपराध नहीं होती है जिसके होने के लिए पब्लिक सर्वेंट ने मदद की थी, या साजिश की थी तो ऐसे में उस अपराध के तहत मिलने वाली सजा में एक चौथाई सजा मिलेगी.
जैसे: A एक पुलिस अधिकारी है, उसे खबर मिली है कि B किसी डकैती के लिए योजना बना रहा है. A इस सूचना का उपयोग कर B पर कार्रवाई करने के बजाय उसे छुपा लेता है. साथ ही B से डकैती में हिस्सा भी मांगता है. तो ऐसे में A इस अपराध के लिए मिलने वाली सजा का पात्र होगा. उसे उतनी ही सजा मिलेगी जितनी की डकैती डालने वाले B को मिलने वाली सजा की एक चौथाई सजा मिलेगी.